‘अब मेरा बेटा मोमोज बेचेगा’ पिता के ताने ने बदल दी जिंदगी; खड़ी कर दी 2000 करोड़ रुपए की कंपनी, पढ़िए Wow Momo कंपनी के मालिक की कहानी।
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देशभर में मोमोज की मांग इतनी बढ़ गई है कि आपको हर घर में कम से कम एक मोमोज प्रेमी मिल ही जाएगा। आज हम मोमोज बेचने वाली कंपनी वाउ मोमो के मालिक की अनोखी सफलता की कहानी के बारे में जानने जा रहे हैं। वाओ मोमो कंपनी के सह-संस्थापक सागर दरयानी ने मोमोज बेचकर 2,000 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर ली है। आइये जानें सागर का यहां तक का सफर कैसा रहा।
देश में फास्ट फूड का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। मैगी, पिज्जा, बर्गर, नूडल्स, मंचूरियन और वड़ापाव खाने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। गांव हो या शहर, हर गली-नुक्कड़ पर आपको कम से कम एक फास्ट फूड का ठेला दिख जाएगा। फास्ट फूड जगत में मोमोज ने अपने लिए एक विशिष्ट स्थान बना लिया है। मोमोज इस समय पिज्जा बर्गर से भी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
देशभर में मोमोज की मांग इतनी बढ़ गई है कि आपको हर घर में कम से कम एक मोमोज प्रेमी मिल ही जाएगा। आज हम मोमोज बेचने वाली कंपनी वाउ मोमो के मालिक की अनोखी सफलता की कहानी के बारे में जानने जा रहे हैं। वाओ मोमो कंपनी के सह-संस्थापक सागर दरयानी ने मोमोज बेचकर 2,000 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर ली है। आइये जानें सागर का यहां तक का सफर कैसा रहा।
वाउ मोमो कंपनी की स्थापना 2008 में हुई थी।
हर माता-पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और डॉक्टर, इंजीनियर, पायलट या अधिकारी बनें और अच्छा वेतन कमाएं; लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आप सिर्फ काम करके ही अच्छा पैसा कमा सकते हैं। आप व्यवसाय करके भी आर्थिक प्रगति कर सकते हैं। सागर दरयानी इसका एक अच्छा उदाहरण है।
सागर दरयानी के माता-पिता चाहते थे कि वह अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और नौकरी करें, लेकिन सागर के लक्ष्य कुछ और थे। कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई के दौरान सागर को मोमोज बेचने का विचार आया। उस समय मोमोज को केवल चीनी फास्ट फूड के रूप में जाना जाता था। जब उन्होंने यह बात अपने घर पर बताई तो सभी लोग हैरान रह गए। मोमोज के इसी आइडिया को लेकर सागर ने 2008 में वाउ मोमो कंपनी की स्थापना की।
वाओ मोमो ने बाजार में अपना नाम बना लिया है।
सागर के पिता ने एक बार इस स्टार्टअप को लेकर उन पर ताना मारते हुए कहा था, “अब मेरा बेटा मोमोज बेचेगा”; लेकिन आज इसी मोमो कंपनी की कीमत दो हजार करोड़ रुपए है।
कोलकाता में सागर दरयानी ने अपने दोस्त विनोद कुमार के साथ मिलकर एक छोटी सी मोमोज की दुकान खोली। उसके बाद तो हर किसी की जुबान पर एक ही नाम था, वाह मोमो। लोगों को इन मोमोज का स्वाद इतना पसंद आया कि दुकान पर भारी भीड़ लग गई। धीरे-धीरे एक छोटी सी दुकान एक बड़ी दुकान में तब्दील हो गई। व्यवसाय तो बढ़ा, लेकिन शुरुआत में धन और कार्यबल की कमी के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन दोनों में से किसी ने भी हार नहीं मानी। सागर ने ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए वाओ मोमो नारे वाली टी-शर्ट छपवाई और कर्मचारियों से उन्हें पहनने को कहा। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि इन टी-शर्ट को दुकानों के बाहर भी पहना जाए, जिससे लोगों को वाउ मोमो को पहचानने में मदद मिले।
स्टीम मोमोज के साथ-साथ उन्होंने तंदूरी मोमोज, कॉकटेल मोमोज, फ्राई मोमोज आदि भी बेचना शुरू कर दिया। सागर की इस तरकीब से वाउ मोमो ने बाजार में नई पहचान बनाई।
एक छोटी सी दुकान से शुरू हुआ वाउ मोमो आज पूरे देश में लोकप्रिय हो चुका है। आज देश भर में 26 राज्यों में इसकी 600 दुकानें हैं। यह मैकडॉनल्ड्स, केएफसी, डोमिनोज़ और पिज्जा हट जैसे फास्ट फूड आउटलेट्स के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है। वे प्रतिदिन छह लाख से अधिक मोमोज बेचते हैं।
सागर और उनके मित्र ने वाउ मोमो के माध्यम से एक नई व्यावसायिक अवधारणा पेश की। वाओ मोमो के माध्यम से आज कई लोगों को रोजगार मिलता है। सागर ने साबित कर दिया कि कोई भी काम छोटा नहीं होता और अगर जीवन में कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता के शिखर तक पहुंचा जा सकता है।
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