हेपेटाइटिस सी, कोरोना, बर्ड फ्लू ही नहीं, धरती पर जीव-जंतुओं से ज्यादा मौजूद हैं एक्टिव वायरस।
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हर साल 22 अप्रैल को वर्ल्ड अर्थ डे मनाया जाता है. इस मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि दुनियाभर में कितने वायरस पाए जाते हैं और ये इंसानों के लिए कितने खतरनाक हैं.
World Earth Day: वर्ल्ड अर्थ डे हर साल 22 अप्रैल 2025 को मनाया जाता है. साल 1970 से इसे हर साल मनाया जाता है. इसका उद्देश्य हर साल लोगों को पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे को लेकर जागरूक करना होता है. इस बार वर्ल्ड अर्थ डे की थीम ‘हमारी शक्ति, हमारा ग्रह’ है. जब 1969 में केलिफोर्निया के सांता बारबरा में तेल रिसाव के कारण बड़ी संख्या में जीवों की मौत हो गई, तब लोगों का ध्यान प्रकृति के संरक्षण पर गया.
1970 में अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन की अपील पर 22 अप्रैल को अमेरिका के लगभग दो करोड़ लोगों ने वर्ल्ड अर्थ डे के पहले आयोजन में हिस्सा लिया था. इसके बाद 22 अप्रैल को यूएनओ ने इस दिन को मान्यता दी और इसे हर साल लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाने लगा. वर्ल्ड अर्थ डे के मौके पर चलिए जानते हैं कि हमारी धरती पर कितने एक्टिव वायरस हैं.
धरती पर कितने एक्टिव वायरस
हमारी धरती पर इतने वायरस हैं जो कि पूरी की पूरी आबादी को खत्म कर सकते हैं. तो क्या ऐसा भी हो सकता है कि एक दिन धरती पर सिर्फ वायरस ही राज करेंगे. नेशनल जियोग्राफिक की मानें तो धरती पर इस वक्त 1,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000 वायरस एक्टिव हैं. यानि कि अगर हम 1 के पीछे 30 जीरो लगा दें तो यानि कि 380 ट्रिलियन यानि 38 लाख करोड़ वायरस हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर की वायरोलॉजिस्ट सारा सॉयर की मानें तो वायरस हमारी दुनिया में नहीं, बल्कि हम वायरस की दुनिया में रह रहे हैं.
50 सालों में होगी वायरस की अदला-बदली
अगले 50 साल के अंदर वायरस स्तनधारियों से दूसरे स्तनधारियों के बीच अदला-बदली के 15 हजार मामले सामने आ सकते हैं. इसकी वजह जलवायु परिवर्तन, वैश्विक गर्मी से वाइल्डलाइफ हैबिटेट में बदलाव आएगा. इस वजह से जानवरों का आपस में एनकाउंटर बढ़ेगा और वायरस इधर से उधर होंगे. इंसानों को भी इसका नुकसान झेलना पड़ सकता है. रिसर्चर्स का मानना है कि कोरोना वायरस की महामारी ने वायरस की अदला-बदली का काम शुरू कर दिया है.
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