केंद्र सरकार से समर्थन वापस लें नीतीश कुमार… जेपी के बहाने अखिलेश ने गरमा दी सियासत।
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लोकनायक जयप्रकाश यानी जेपी की जयंती पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने मौके पर चौका लगाते हुए नीतीश कुमार से मोदी सरकार को दिया गया समर्थन वापस लेने की मांग कर दी. इसके अलावा क्या कुछ बोले अखिलेश आइये बताते हैं.
उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर होने जा रहे उप-चुनावों (UP By elections 2024) को लेकर एक-एक दिन और एक-एक सियासी मौका भुनाने को लेकर नेताओं के बीच होड़ मची है. इसी उपचुनाव को लेकर आज जेपी जयंती के दिन भी जमकर सियासी बवाल कटा. समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आज जबरदस्त शक्ति प्रदर्शन किया. अखिलेश यादव ने तो दुर्गा अष्टमी की पूजा और अन्य त्योहारों का हवाला देते हुए बीजेपी को जमकर कोसा. मोदी सरकार और योगी सरकार को उखाड़ फेंकने का दम भरने वाले अखिलेश यादव का मन नहीं भरा तो उन्होंने जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार को भी लपेट लिया.
मोदी सरकार से समर्थन वापस लें नीतीश: अखिलेश यादव
अखिलेश यादव ने जेपी जयंती पर लखनऊ स्थित जेपीएनआईसी (jpnic lucknow) में माल्यार्पण करने की योजना बनाई थी. इसके अलावा समाजवादी पार्टी के नेताओं ने जेपी का एक नया स्टेच्यू मंगवा रखा था. इस काम के पीछे उनकी क्या सोच थी, इससे इतर मूल मु्द्दे की बात करें तो लखनऊ विकास प्राधिकरण ने सपा नेताओं को कार्यक्रम की इजाजत नहीं दी थी.
पुलिस ने अखिलेश यादव के घर के बाहर बहुत कड़ा पहरा लगा दिया था. इसके बाद तय समय पर अखिलेश अपने घर से निकले और जेपी की मूर्ति को उनके कार्यकर्ता अपनी कार से जहां पर ले गए, वहीं अखिलेश ने माल्यार्पण करके अपने समर्थकों को संबोधित कर दिया.
अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी सरकार बेलगाम हो गई है. हमें त्योहारों नहीं मनाने दे रही है. जेपीएनआईसी बेचना चाहती है, इसलिए हमें वहां नहीं जाने दे रही है. ऐसे में हम केंद्र सरकार में शामिल लोग जो समाजवादी विचारधारा से जेपी की विचारधारा से थोड़ा भी इत्तेफाक रखते हैं, वो बीजेपी का साथ छोड़ दें.
अखिलेश यादव ने कहा, ‘ मैं नीतीश कुमार जी से अपील करता हूं कि वो तो जेपी आंदोलन से निकले हुए नेता हैं, वो अपना केंद्र सरकार ने अपना समर्थन वापस लें क्योंकि बीजेपी उनके कार्यक्रम में अड़ंगा डाल रही है.’
जेपी सेंटर सील, नई सियासी कील
जयंती के दिन JPNIC के म्यूजियम में जाकर उनकी जयंती मनाते हैं लेकिन पता नहीं क्या कारण है कि आज सरकार हमें रोक रही है, माल्यार्पण नहीं करने दे रही है… भाजपा ने हर अच्छा काम रोका है लेकिन आज हम लोग सड़क पर खड़े होकर अगर जयप्रकाश नारायण को याद भी कर रहे हैं तो ये सरकार हमें रोकना चाहती है कि हम माल्यार्पण न करें लेकिन हम लोगों ने यहां सड़क पर ही माल्यार्पण कर दिया.
जयप्रकाश नारायण के नाम पर जो इमारत बनाई गई है, उसे इसलिए ढका गया है क्योंकि उसके पीछे साजिश है. साजिश ये है कि वे उसे बेचना चाहते हैं. ऐसी सरकार जो म्यूजियम बेच रही हो उससे क्या उम्मीद की जा सकती है. समाजवादी पार्टी के लोग हर साल उनकी जयंती मनाते रहे हैं और उसी तरह से मनाते रहेंगे… हम लोग वहीं जाकर भारत रत्न जयप्रकाश नारायण को सम्मान देने का काम करेंगे. यह सरकार गूंगी-बहरी तो है ही लेकिन आज कल इसे दिखाई भी नहीं दे रहा है … सही मायने में यह एक बहुत विनाशकारी सरकार है…’
क्या है जेपीएनआईसी? जिसे लेकर इमोशनल हो गए अखिलेश
लखनऊ का जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) सपा सरकार में बना था. वहीं, योगी सरकार अखिलेश यादव और उनके नेताओं को इस सेंटर में जाने नहीं दे रही है. JPNIC को लेकर अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के बाकी नेता इतना उतावले क्यों हो जाते हैं? आइए बताते हैं.
दरअसल JPNIC अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था. 2012 की तत्कालीन सपा सरकार में अखिलेश ने गोमती नगर में ताज होटल के पीछे जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) बनवाना शुरू किया था. 850 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. रियल एस्टेट कंपनी शालीमार के पास इसे बनाने का ठेका था.
17 मंजिल की इस इमारत में पार्किंग का भी बढ़िया इंतजाम है. इसमें कन्वेंशन सेंटर, कॉन्फ्रेंस हॉल, गेस्ट हाउस, ओपन एयर रेस्टोरेंट, म्यूजियम और स्विमिंग पूल बनना था. इस प्रोजेक्ट में साल 2017 तक करीब 850 करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे. काम भी करीब-करीब 80% हो गया था. 2017 में योगी सरकार आने पर इसका निर्माण रुक गया. अखिलेश सरकार में निर्माणाधीन जेपीएनआईसी में गड़बड़ी की खबरों पर सीएम योगी ने जांच बिठा दी. जांच के चलते सेंटर का निर्माण अधूरा रह गया. फिलहाल जेपीएनआईसी किसी पुरानी बंद इमारत जैसा है. जिसमें चारों ओर झाड़ झंगाड़ उगा है. जगह-जगह निर्माण कार्य से जुड़ा सामान बिखरा पड़ा है. इसी का हवाला देकर लखनऊ विकास प्राधिकरण ने समाजवादी पार्टी के नेताओं को जेपी जयंती का कार्यक्रम करने की इजाजत नहीं थी. बात निकली तो दूर तक गई, और सारा सियासी रायता फैल गया.
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