Nepal Politics: क्या जाने वाली है प्रचंड सरकार, 4 महीने में ही ओली ने वापस लिया समर्थन, नेपाली कांग्रेस और CPN-UML में समझौता।
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नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (CPN-UML) के अध्यक्ष व पूर्व पीएम के पी शर्मा ओली ने नई गठबंधन सरकार बनाने के लिए सोमवार मध्यरात्रि को समझौते पर हस्ताक्षर किए.
नेपाल में नाटकीय घटनाक्रम के तहत दो सबसे बड़े दलों नेपाली कांग्रेस और CPN-UML एक बड़ा दांव चला है. प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ को सत्ता से बेदखल करने के लिए दोनों दलों ने एक नई ‘राष्ट्रीय सरकार’ बनाने के लिए आधी रात को एक समझौता किया.
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (CPN-UML) के अध्यक्ष व पूर्व पीएम के पी शर्मा ओली ने नई गठबंधन सरकार बनाने के लिए सोमवार मध्यरात्रि को समझौते पर हस्ताक्षर किए.
बारी-बारी से साझा करेंगे पीएम पद
पूर्व विदेश मंत्री नारायण प्रकाश सौद ने यह जानकारी दीकि देउबा (78) और ओली (72) संसद के शेष कार्यकाल के लिए बारी-बारी से प्रधानमंत्री पद साझा करने पर सहमत हुए. सौद नेपाली कांग्रेस के केंद्रीय सदस्य भी हैं.
नेपाल के प्रतिनिधि सदन में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास 89 सीट जबकि CPN-UML के पास 78 सीट हैं. दोनों दलों की संयुक्त संख्या 167 है जो 275 सदस्यीय सदन में बहुमत के 138 सीट के आंकड़े के लिए काफी है.
CPN-UML प्रचंड सरकार से रिश्ता खत्म किया
देउबा और ओली ने दोनों दलों के बीच संभावित नए राजनीतिक गठबंधन की जमीन तैयार करने के लिए शनिवार को भी मुलाकात की थी जिसके बाद ओली की CPN-UML ने प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से रिश्ता खत्म कर लिया. उसने महज चार महीने पहले ही इस सरकार को अपना समर्थन दिया था.
इस समझौते को मंगलवार को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है. समझौते के तहत ओली डेढ़ साल तक नई, ‘राष्ट्रीय सर्वसम्मति वाली सरकार’ का नेतृत्व करेंगे. बाकी के कार्यकाल के लिए देउबा प्रधानमंत्री रहेंगे.
दोनों नेता इन मुद्दों पर हुए सहमत
मीडिया में आई खबरों में दोनों दलों के कई वरिष्ठ नेताओं के हवाले से कहा गया है कि दोनों नेता नई सरकार बनाने, संविधान में संशोधन करने और सत्ता बंटवारे के फॉर्मूले पर बातचीत करने के लिए सहमत हुए. उन्होंने यह समझौता कुछ विश्वासपात्रों के साथ साझा किया है.
16 साल में 13 सरकारें
नेपाल में पिछले 16 साल में 13 सरकारें बनी हैं जिससे इस हिमालयी देश की राजनीतिक प्रणाली की कमजोरी जाहिर होती है. CPN-UML के करीबी सूत्रों ने बताया कि प्रचंड नीत मंत्रिमंडल में पार्टी के मंत्री दोपहर को सामूहिक रूप से इस्तीफा दे सकते हैं.
CPN-UML के सचिव शंकर पोखरेल ने मीडियाकर्मियों को बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री ओली के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सरकार बनाने के लिए नेपाली कांग्रेस के साथ एक समझौता किया गया है.
‘प्रचंड अभी नहीं दे रहे हैं इस्तीफा’
इस बीच, सीपीएन-माओवादी सेंटर के करीबी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री प्रचंड ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए CPN-UML प्रमुख ओली से बातचीत कर रहे हैं. सीपीएन-माओवादी केंद्र के सचिव गणेश शाह ने कहा, ‘प्रचंड अभी पद से इस्तीफा नहीं दे रहे हैं. प्रचंड और ओली के बीच बातचीत खत्म होने से पहले कुछ भी नहीं कहा जा सकता है.’
समझौते में क्या तय हुआ?
‘मायरिपब्लिका’ समाचार पोर्टल ने बताया कि समझौते के तहत ओली के कार्यकाल के दौरान CPN-UML के पास प्रधानमंत्री के पद और वित्त मंत्रालय समेत कई मंत्रालयों का नियंत्रण रहेगा. इसी तरह, नेपाली कांग्रेस के पास गृह मंत्रालय समेत 10 मंत्रालय रहेंगे.
समझौते के अनुसार, CPN-UML कोशी, लुम्बिनी और करनाली प्रांतों में प्रांतीय सरकारों का नेतृत्व करेगी तथा नेपाली कांग्रेस बागमती, गंडकी और सुदूर पश्चिम प्रांतों में प्रांतीय सरकारों का नेतृत्व करेगी.
ओली और देउबा मधेस प्रांत का नेतृत्व करने में मधेस आधारित दलों को शामिल करने और संवैधानिक संशोधन करने पर भी राजी हुए. खबर में कहा गया है कि इस समझौते का मसौदा चार सदस्यीय कार्य बल ने तैयार किया है.
ओली-प्रचंड के बीच मतभेद
ओली और प्रधानमंत्री प्रचंड के बीच मतभेद तेजी से बढ़े हैं और ओली वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार द्वारा हाल में किए गए बजट आवंटन से भी नाखुश हैं जिसके बारे में उन्होंने सार्वजनिक रूप से बोला था.
पर्यवेक्षकों का कहना है कि देउबा और ओली के बीच बंद कमरे में हुई बैठक से चिंतित प्रचंड यह आश्वासन देने के लिए ओली से मिलने गए थे कि सरकार CPN-UML द्वारा उठाए गए मुद्दों को हल करने को लेकर गंभीर है.
खबर में कहा गया है कि सोमवार को सुबह हुई बैठक के दौरान ओली ने प्रचंड से इस्तीफा देने की स्थिति में उनका समर्थन करने का अनुरोध किया.
CPN-UML के एक नेता के हवाले से खबर में कहा गया है कि प्रचंड ने ओली को मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन में प्रधानमंत्री पद की पेशकश की जिसे ओली ने ठुकरा दिया. प्रचंड (69) ने अपने डेढ़ साल के कार्यकाल के दौरान संसद में तीन बार विश्वास मत जीता है.
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