मुंबई-कोलकाता भी तो महानगर हैं, तो फिर दिल्ली की ही हवा क्यों हुई जहरीली?
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देश में दिल्ली के अलावा मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु समेत कई महानगर हैं, लेकिन दिल्ली सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है, लेकिन इसके पीछे क्या वजह है. क्यों दिल्ली कई सालों से प्रदूषण से जूझती नजर आ रही है, जबकि मुंबई और कोलकाता (Mumbai-Kolkata Pollution) जैसे शहरों में हालात इतने खराब नहीं है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली कि आब-ओ-हवा अब भी जहरीली बनी हुई है, क्योंकि दिल्ली लंबे समय से पॉल्यूशन कैपिटल बनी हुई है. दिल्ली के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई (AQI) 400 से ज्यादा है. देश में दिल्ली के अलावा मुंबई और कोलकाता समेत कई महानगर हैं, लेकिन दिल्ली सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है. तो आखिर इसके पीछे क्या वजह है. क्यों दिल्ली कई सालों से प्रदूषण से जूझती नजर आ रही है, जबकि मुंबई और कोलकाता (Mumbai-Kolkata Pollution) जैसे शहरों में हालात इतने खराब नहीं है.
मुंबई, कोलकाता और बैंगलोर में कितना प्रदूषण?
aqi.in के आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार (5 नवंबर) सुबह 11 बजे दिल्ली में एक्यूआई (AQI) 397 दर्ज किया गया, जो गंभीर स्थिति में है.वहीं, अगर बात मुंबई की करें तो वहां एक्यूआई 170 है, जबकि कोलकाता में एक्यूआई 114 है, जो मध्यम श्रेणी में आता है. इसके अलावा चेन्नई में भी एक्यूईआ 107 है. इसके अलावा बेंगलुरु की हवा बेहद साफ है और वहां एक्यूआई 41 दर्ज किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर पटाखों को लेकर दिए आदेश का पालन नहीं करने पर नाराजगी जताई है और दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब है. दूसरी तरफ, केंद्र की ओर से पेश एएसजी ने कहा कि नियमों का उल्लंघन हुआ है. इस पर जस्टिस ओका ने कहा कि दिल्ली सरकार तुरंत जवाब दे कि ऐसा क्यों हुआ. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से भी जवाब मांगा है कि नियमों का पालन क्यों नहीं करवाया गया.
आखिर दिल्ली में ही क्यों इतना ज्यादा है प्रदूषण का संकट?
दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने की सबसे बड़ी वजह हवा है. दिल्ली में प्रदूषण का स्तर हवा की दिशा और हवा की गति पर बहुत हद तक निर्भर करता है. पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान से आने वाली हवा प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होती है. इसके अलावा पंजाब, हरियाण और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की वजह से भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता है. गाड़ियों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं. इसके अलावा कंस्ट्रक्शन वर्क से आने वाली सूखी धूल और पटाखों से भी प्रदूषण बढ़ता है.
तो क्या सिर्फ सर्दियो मे ही होता है प्रदूषण?
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर सर्दियों में गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि प्रदूषण सिर्फ सर्दियों में ही होता है. दिल्ली में प्रदूषण पूरे साल होता है, लेकिन सर्दी में तापमान में गिरावट और हवा की गति धीमी होने या रुक जाने की वजह से प्रदूषण के कण धरती की सतह के करीब जमा होने लगते हैं और प्रदूषण की स्थिति गंभीर होने लगती है.
सर्दियों में ही क्यों बढ़ने लगता है प्रदूषण?
हर साल सर्दियों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है, लेकिन आखिर ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे की साइंस को स्काईमेट मौसम विज्ञान के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने विस्तार से समझाया है. उन्होंने बताया, ‘उच्च तापमान मिश्रण की ऊंचाई को ऊंचा रखता है और प्रदूषकों को स्वतंत्र रूप से घूमने और फैलने की अनुमति देता है. कम तापमान हवा की गति को धीमा कर देता है और प्रदूषकों को जमीन की सतह के करीब रोक देता है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘जहां, सर्दियों के महीनों में आमतौर पर मिश्रण की ऊंचाई 200-300 मीटर तक गिर जाती है, वहीं गुरुवार को मिश्रण की ऊंचाई 2,100 मीटर बनी रही. इस वजह से प्रदूषण गंभीर स्थिति में नहीं पहुंचा.’
कब कितना खतरनाक होता है प्रदूषण का स्तर
अगर वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई (AQI) शून्य से 50 के बीच रहे तो हवा को ‘अच्छा’ माना जाता है और अगर यह 51 से ज्यादा हो जाए और 100 से कम रहे तो ‘संतोषजनक’ माना जाता है. एक्यूआई 101 से 200 के बीच रहे तो ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है.
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