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    April 23, 2025

    MTNL : कभी दिल्ली-मुंबई के हर घर में बजती थी इसकी घंटी, अब दूसरे का सहारा, अपने अंत की ओर बढ़ रही एक और सरकारी कंपनी!

    1 min read
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    सरकारी टेलीकॉम कंपनी जियो, एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया की रेस में भाग न सकी. टेलीकॉम कंपनियों की रेस में सरकारी कंपनी MTNL की रफ्तार थीमी पड़ गई. अब इस सरकारी टेलिकॉम कंपनी खत्म होने की दिशा में बढ़ने लगी है.

    सरकारी टेलीकॉम कंपनी जियो, एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया की रेस में भाग न सकी. टेलीकॉम कंपनियों की रेस में सरकारी कंपनी MTNL की रफ्तार थीमी पड़ गई. अब इस सरकारी टेलिकॉम कंपनी खत्म होने की दिशा में बढ़ने लगी है. बात हो रही है महानगर टेलीफोन निगम (MTNL) की, जो अब कुछ दिन की मेहमान रह गई है. सरकार ने इसके स्वतंत्र ऑपरेशन को खत्म कर दिया है. अब आप MTNL का डायरेक्ट रिचार्ज नहीं करवा पाएंगे. अब BSNL के जरिए MTNL का ऑपरेशन चलेगा. उसी के जरिए अब इसका रिचार्ज होगा. MTNL का रिचार्ज भी अब बीएसएनएल से ही होगा. वहीं कर्मचारियों को वीआरएस का विकल्प मिलेगा.

    BSNL संभालेगी कामकाज
    सरकार कर्ज से जंजाल में फंसी एमटीएनएल के 30,000 करोड़ रुपये के ऋण पुनर्गठन को अंतिम रूप देने के बाद इसका पूरा ऑपरेशन भारत संचार निगम (BSNL) को ट्रांसफर देगी. हालांकि MTNL को आधिकारिक रूप से बंद करने का फैसला नहीं लिया गया है. बस इसके स्वतंत्र अस्तित्व को खत्म किया जा रहा है. इसका ऑपरेशन बीएसएनएल के जरिए होगा.

    कभी दिल्ली-मुंबई की थी जान
    कभी दिल्ली-मुंबई की जान रही एमटीएनएल की सर्विसेस जारी रहेगी, लेकिन इसका कंट्रोल बीएसएनएल के पास होगा.इसका सारा कााकाज भी बीएसएनएल के पास होगा. सरकार ने कंपनी के 3,000 कर्मचारियों को वीआरएस देने की पेशकश की योजना बनाई है या फिर उन कर्मचारियों को बीएसएनएल में ट्रांसफर किया जा सकता है. कंपनी की बिगड़ती आर्थिक सेहत के चलते इसका ऑपरेशन बीएसएनएल को सौंप दिया गया है. सरकार ने दोनों की सरकारी टेलीकॉम कंपनियों को बचाने के लिए बीच-बीच में बूस्टर डोज भी दिया. साल 2019 से दोनों कंपनियों को कुल 3.22 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज दिया है, कर्मचारियों को रिवाइवल वीआरएस प्लान का विकल्प दिया गया, ताकि कंपनी की लागत को कम किया जा सके.

    कैसे पिछड़ गया MTNL
    MTNL का ऑपरेशन मिलने के बाद सरकारी कंपनी बीएसएनएल देश में पूरे काम को मैनेज करेगी. सरकार को उम्मीद है कि इससे बेहतर परिणाम सामने आएंगे. जहां एक तरफ निजी कंपनियां 4G, 5G की जंग में तेजी से भाग रही है. ग्राहकों को तेज इंटरनेट सर्विस, बेहतर कॉलिंग की सुविधा जैसे सर्विसेस जे रही है. सरकारी टेलीकॉम कंपनियां यहां संघर्ष कर रही है. MTNL-BSNL दोनों ही सरकारी कंपनियां 4जी-5जी की इस रेस में पिछड़ गई है. जिसके चलते उसे कस्टमर बेस का नुकसान हो रहा है. निजी कंपनियां जैसे रिलायंस जियो, एयरटेल, आइडिया-वोडाफोन की रेस में वो टिक नहीं पा रही है.

    किसके पास कितने ग्राहक
    कस्टमर बेस के नंबर में सबसे आगे रिलायंस है, जिसकी बाजार में हिस्सेदारी 40.48% है, वहीं भारती एयरटेल के पास 33.12%, वहीं वोडाफोन आइडिया के पास 18.77% की हिस्सेदारी है. वहीं बीएसएनएल के पास 7.46% और MTNL के पास सिर्फ 0.16% की हिस्सेदारी है.

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