अकोला ज़िले के श्री विठ्ठल देशमुख बने मराठी युवको के लिए बिज़नेस आइकॉन।
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‘रुद्रराज ट्रेडिंग’ के संस्थापक श्री. विठ्ठल देशमुखजी ने एक सफल उद्योजक के रूप में काफ़ी सफलता हासिल की है, महाराष्ट्र के किसान वर्ग को अपने फसल के लिए सबसे ज्यादा दाम दिलाने का काम वह करते आ रहे है, आने वाले समय में उनकी कंपनी “रुद्रराज ट्रेडिंग” एक बड़ा ब्रॅण्ड बनने वाला है इस बात पर उनका दृढ़ विश्वास है।
कौन कहता है की एक साधारण सा दिखने वाला मराठी इंसान व्यवसाय नही कर सकता? भुतकाल से लोगो के मन मैं बैठी कुछ गलत धारणाओं की वजह से मराठी लोग उद्योजक बनने से कतराते हुए नज़र आते है। लेकीन इसी बात का खंडन करते हुए कई मराठी उद्योजको ने खुदका एक बडा व्यवसाय स्थापन कर के विशाल साम्राज्य खडा किया है। आज भी कई युवक अपने व्यवसाय का आरंभ करके उसे नए और बड़े मुक़ामो तक पहुँचाना जानते है। अपने व्यवसाय को बखुबी आगे बढ़ाना जानते है।
इसी परंपरा को ध्यान मे रखते हुए लिंगापेन एक छोटेसे गाॅंव के श्री. विठ्ठल देशमुखजी ने अकोला शहर में खुद का एक साम्राज्य खडा कीया है। मात्र 3 वर्षो की कडी मेहनत, लगन, इमानदारी से अपने बिझनेस को उन्होनें पुरे अकोला शहर में प्रसिद्ध किया।
एक किसान के घर जन्मे श्री. विठ्ठल देशमुख ने घर में चल रही खेती को सँभालते हुए अपनी पढाई B. Com तक पूरी की। मगर इस दौरान कुछ अलग, खुदका व्यवसाय करने का विचार उनके जेहन में चल रहा था। दिमाग में चल रहे इन्ही विचारो के कारण उन्होने वाशिम जिलेसे अकोला आने की ठाण ली। दस बाय दस के रूम में अपने रहने की व्यवस्था की। उनका मन यही तक नही रुका उन्होने खुद किसान के बेटे होने का फर्ज पूरा करने के लिए और सभी किसान भाइयों के मदत करने के लिए अपना खुदका ट्रेडिंग बिजनेस शुरु करने कि ठाण ली । कोई भी व्यवसाय शुरू करने के लिये बहुत बडी आर्थिक पुंजी की जरूरत होती है मगर उनके पास पैसो की कमी थी। आसपास के बँको ने भी उनको कर्जा देने से मना कर दिया था, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी लगातार कडी मेहनतसे साल २०१२ में उन्होंने अपने खुद के बलबूते पर एक छोटासी ट्रेडिंग कंपनी की शुरवात की। उन्हें कोई भी पूर्वानुभव नही था, कोई भी जानकारी नही थी, फिर भी उन्होने बिना डगमगाए नए शहर में इस बिझनेस को शुरू किया।
नये शहर मे अपने दो बेटे राज, रुद्र और अपनी पत्नी के साथ अकोला भेजने मे और बिजनेस शुरू करने मे उनके माता- पिताजी ने भी उनका साथ दिया। उनकी माॅं अनपढ़ होकर भी उन्होने अपने दोनो बेटे को पढाया और अपने 16 हेक्टर खेती मे अपने पती का साथ दिया। व्यवसाय के साथ इसी खेती में विठ्ठल देशमुखजी ने सोयाबीन, काबुली चना, तुवर और हल्दी का बिक्रमी उत्पादन लिया था। अनंतराव देशमुख कृषी महाविद्यालय करडा वाशिम ने उनको विशेष योगदान के लिए पुरस्कार से सम्मानित भी किया है। उनकी पत्नी किर्तीने उनके भले- बुरे टाइम मे उनका साथ दिया और उनका आत्मबल बढाती रही । व्यवसाय मे जब-जब नुकसान हुआ तब-तब उनका हौसला बढ़ा दिया। सबसे पहले रुद्रराज ट्रेडिंग कंपनी 2012 को शुरू की जिसका 2011- 12 का टर्न ओवर लगभग एक करोड का था । 2012 -13 को तीन करोड हो गया उनका आज का टर्न ओव्हर 15 करोड तक पोहोच गया है। एक छोटीसे गाॅंव से आकर अकोला में उन्होने खुदका एक घर और एक फ्लॅट बनाया जिसकी किमत लगभग दो करोड 70 लाख है।
श्री. विठ्ठल देशमुखजी का और एक सपना था की महाराष्ट्र के सभी लोगो के पास रहने के लिए अपना खुदका मकान हो। लाखो बेघर लोगो को घर कम लागत मे मिले इसी सोच को लेकर साल २०२० में उन्होने कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में अपना कदम रखा और अपने “रूद्रराज कंस्ट्रक्शन” की शुरुवात की, आज के समय में जिनके दो प्रोजेक्ट पूरे हो चुके है , साथही दस करोड के दो प्रोजेक्ट अभी शुरू है। आगे विठ्ठल जी को अपने बेटे के साथ पुणे मे अपनी खूदकी कंस्ट्रक्शन कंपनी शुरू करनी है। जिस दिशा में उनके कदम तेज गती से बढ रहे है। हम उनकी सफल यात्रा के लिए उन्हे रिसिल की ओर से ढेरसारी शुभकामनाए देते है।
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