Motivational: बिना हाथों के शख्स को मिला ड्राइविंग लाइसेंस, फर्राटे से चलाता है गाड़ी; लोग बोले- हौसला तो है.
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अब वो खबर जिससे हर कोई प्रेरणा ले सकता है. ‘जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिज़ूल है कद आसमान का.’ किसी शायर की ये पंक्तियां तमिलनाडु के तानसेन पर एकदम सटीक बैठती है. तानसेन ने एक हादसे में दोनों हाथ खो दिए लेकिन हिम्मत नहीं हारी. पैरों से गाड़ी चलाने का अभ्यास किया. उसके बाद जो हुआ वो उन्होंने खुद भी नहीं सोचा था.
‘मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है’. इसकी बानगी एक बार फिर देखने को तब मिली जब असंभव लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक दिव्यांग ने जमकर मेहनत की और वो मुकाम हासिल किया जो किसी ने सोचा भी नहीं होगा. यहां पर बात तमिलनाडु के तानसेन की जिन्होंने अपनी मेहनत से कामयाबी का ऐसा झंडा गाड़ा कि एक नया माइल स्टोन रच दिया.
तमिलनाडु का पहला दिव्यांग जिसे मिला ड्राइविंग लाइसेंस
चेन्नई के रहने वाले 30 साल के तानसेन दोनों हाथों से दिव्यांग हैं. बिना हाथों के ड्राइविंग लाइसेंस (DL) पाने वाले वो तमिलनाडु के पहले शख्स बन गए हैं. तानसेन ने 10 साल की उम्र में बिजली का करंट लगने की वजह से हुए एक हादसे यानी दुर्घटना में दोनों हाथ खो दिए थे. हाथ कटने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी मारुति स्विफ्ट कार पैरों से चलाते लगे. आगे उनकी मेहनत रंग लाई तो उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस भी मिल गया. ऐसी शारीरिक स्थितियों में लाइसेंस प्राप्त करने वाले तमिलनाडु के पहले शख्स बन गए हैं.
तानसेन ने पेरम्बूर में अपनी पढ़ाई पूरी की और अब डॉ. अंबेडकर गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से एलएलएम यानी कानून में मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्हें 22 अप्रैल, 2024 को ड्राइविंग लाइसेंस मिला.
मल्टी टास्कर हैं तानसेन
तानसेन ने अपने पैरों से लिखना सीखा, तैरना और ड्रम बजाना भी सीखा है. तानसेन ने गाड़ी को पैरों से चलाने के लिए अपनी गाड़ी के अंदर कई तरह के बदलाव किए गए हैं. कार के हैंड ब्रेक के पास हॉर्न, इंडिकेटर, वाइपर और लाइट स्विच लगे हैं. तानेसन का अगला लक्ष्य बाइक चलाना है. उनके मुताबिक वो जल्द बाइक चलाना भी सीखेंगे.
कैसे मिली प्रेरणा?
लाइसेंस प्राप्त करने की उनकी इच्छा तब जगी जब उन्हें मध्य प्रदेश के एक व्यक्ति विक्रम अग्निहोत्री के बारे में पता चला, जिसने दोनों हाथ कटे होने के बावजूद उन्होंने सालों पहले लाइसेंस प्राप्त कर लिया था. वहीं केरल की एक महिला, जिलुमोल मैरिएट थॉमस भी लाइसेंस प्राप्त करने में सफल रहीं, जिससे तानसेन को और प्रेरणा मिली.
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