मां करती हैं देहाड़ी मजदूरी, बेटे ने क्रैक किया IIT का एग्जाम, जब एडमिशन की बात आई तो…
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रोशन की कहानी तेलंगाना में कई वंचित समुदायों के छात्रों की सच्चाई को दर्शाती है. रोशन ने जेईई परीक्षा की एससी कैटेगरी में 2406 रैंक हासिल की.
भारत के किसी भी IIT में पढ़ने का सपना युवाओं में सपना होता है. इस सपने को पूरा करने के लिए उन्हें जेईई मेन्स और एडवांस परीक्षा पास करनी होती है. लेकिन, अगर वे सफल भी हो जाते हैं, तो आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को अक्सर IIT में अपनी पढ़ाई जारी रखने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. उन्हें इस बात की चिंता रहती है कि वे अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएंगे या नहीं. बोनिला आर्यन रोशन ऐसे ही एक स्टूडेंट हैं जो इन मुश्किलों का सामना कर रहे हैं.
IIT तिरुपति 1 अगस्त को अपने गेट ओपन और तेलंगाना के बोनिला आर्यन रोशन केमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स की लाइन में शामिल होंगे. इसके बावजूद, रोशन बहुत खुश नहीं हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रोशन ने इस बात पर चिंता जताई कि वह अपने इंजीनियरिंग कोर्स के चार साल पूरे कर पाएंगे या नहीं. रोशन तेलंगाना के सिद्धिपेट जिले से हैं, जहां उनकी मां एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करती हैं और रोजाना 200 रुपये कमाती हैं. उन्होंने कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था.
रोशन ने जेईई परीक्षा की एससी कैटेगरी में 2406 रैंक हासिल की. हालांकि, उनके परिवार के लिए आईआईटी की फीस का भुगतान करना एक बड़ी चुनौती है. उन्होंने किसी तरह रोशन की आईआईटी फीस के लिए 50,000 रुपये जुटा लिए हैं. 18 साल रोशन ने कहा, “इससे मैं अपना पहला सेमेस्टर पूरा कर पाऊंगा… मुझे नहीं पता कि मैं अपनी पढ़ाई के बाकी खर्चों को कैसे पूरा करूंगा.”
रोशन की कहानी तेलंगाना में कई वंचित समुदायों के छात्रों की सच्चाई को दर्शाती है. हालांकि आईआईटी एससी/ एसटी उम्मीदवारों की 1 लाख रुपये की ट्यूशन फीस माफ कर देते हैं, लेकिन उनसे रहने, खाने और रजिस्ट्रेशन जैसी अन्य फीसें अभी भी चुकानी पड़ती हैं, जो सालाना 1 लाख से 1.5 लाख रुपये तक हो सकती हैं. आर्थिक तंगी से जूझ रहे स्टूडेंट्स को इस फीस को भरने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है.
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