अंबानी-अडानी से ज्यादा पैसा, पद्म भूषण से सम्मानित… बुरे वक्त में किराये पर रहने को मजबूर यह शख्स.
1 min read
|








देश के चुनिंदा कारोबारियों में गिने जाने वाले विजयपत सिंघानिया के पास एक समय अंबानी, अडानी और रतन टाटा से भी ज्यादा पैसा था. लेकिन आज वह किराये के घर में रहने के लिए मजबूर हैं, जानिए क्यों?
कहते हैं समय किसी का नहीं हुआ. यह कब बदल जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. तभी तो देश के सबसे अमीर कारोबारियों में गिने जाने वाले विजयपत सिंघानिया की किस्मत में बड़ा उलटफेर आया है. एक समय उनकी गिनती देश के सबसे अमीर लोगों में होती थी. वक्त बदला तो आज वह किराये के घर में रहने के लिए मजबूर हैं. उनकी लाइफ टेस्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़ी रही और उन्होंने अपनी लाइफ में जमकर शोहरता और पैसा कमाया. लेकिन पारिवारिक कलह और पर्सनल लॉस के कारण आज वह किराये पर रह रहे हैं.
चाचा जीके सिंघानिया की मौत के बाद रेमंड को संभाला
रेमंड ग्रुप के चेयरमैन और एमडी गौतम सिंघानिया को तो आप जानते ही होंगे. लेकिन कम ही लोगों को पता है कि उनके पापा विजयपत सिंघानिया (Vijaypat Singhania) ने कंपनी को आगे बढ़ाने में अहम योगदान दिया था. जिस समय विजयपत सिंघानिया अपने करियर के टॉप पर थे तो वह गौतम अडानी, मुकेश अंबानी, रतन टाटा और अनिल अंबानी जैसी शख्सित से ज्यादा पैसे वाले थे. उन्होंने अपने चाचा जीके सिंघानिया की मौत के बाद रेमंड का बिजनेस संभाला और इसे टेक्सटाइल और फैशन इंडस्ट्र्री में ग्लोबल ब्रांड बना दिया.
दो बेटों के बीच बिजनेस बांटने का फैसला
करियर की शुरुआत में विजयपत को चचेरे भाइयों से चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने चाचा के निधन के बाद रेमंड पर कंट्रोल हासिल करने की कोशिश की. विजयपत सिंघानिया रेमंड के पहले चेयरमैन थे. उनकी लीडरशिप में कंपनी काफी आगे बढ़ी और इस सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी बन गई. विजयपत सिंघानिया काफी सफल कारोबारी थे और उनके पास बहुत पैसा था. लेकिन फैमिली में होने वाली कलह के कारण उनके जीवन में उथल-पुथल मच गई. उन्होंने अपने दो बेटों के बीच बिजनेस बांटने का फैसला किया, यही से उनकी लाइफ में बड़ा बदलाव आया.
गौतम ने पिता विजयपत को घर से निकाला
विजयपत के बड़े बेटे मधुपति सिंघानिया सिंगापुर चले गए और उन्होंने बिजनेस से दूरी बना ली. इसके बाद, गौतम सिंघानिया ने रेमंड कंपनी की जिम्मेदारी संभाली. धीरे-धीरे, विजयपत और गौतम के बीच संबंध खराब होने लगे. अचानक विजयपत ने कंपनी में अपने सभी शेयर गौतम को दे दिए. इस फैसले के बाद पिता-पुत्र के बीच बहुत बड़ा विवाद हो गया. बाद में गौतम ने पिता विजयपत को घर से निकाल दिया. इसके बाद विजयपत सिंघानिया को आर्थिक और व्यक्तिगत परेशानियों का सामना करना पड़ा. एक इंटरव्यू में विजयपत ने यह बताया था कि उन्हें अपने जीवन को चलाने के लिए काफी मुश्किलें आ रही हैं. पहले वह बहुत अमीर थे और बहुत आराम से रहते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है.
विजयपत सिंघानिया ने सिर्फ बिजनेस में ही सफलता हासिल नहीं की, बल्कि उन्हें हवाई जहाज उड़ाने का भी बहुत शौक था. जेआरडी टाटा से प्रेरित होकर उन्होंने हवाई जहाज उड़ाना सीखा और उन्हें इस सेक्टर में बहुत रुचि थी. उन्हें 2012 तक आईआईएम अहमदाबाद की गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन नारायण मूर्ति के उत्तराधिकारी के रूप में भी माना जाता था. सिंघानिया को अपने काम के लिए भी कई सम्मान मिले हैं. उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.
About The Author
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space
Recent Comments