‘मोदी की यात्रा से मजबूत होंगे संबंध, भारत के साथ मिलकर सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र बनाना चाहता है अमेरिका’!
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अमेरिकी राजदूत ने कहा ‘हम सुरक्षित भारत चाहते हैं और भारत के साथ मिलकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित बनाना चाहते हैं। भारत और अमेरिका एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं और हमारी रक्षा साझेदारी इस भरोसे का प्रमाण है।’
नई दिल्ली, एजेंसी। भारत के साथ मिलकर अमेरिका सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र बनाना चाहता है। भारत के बिना हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र की कल्पना नहीं कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगामी अमेरिका दौरे से पहले भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने एक साक्षात्कार में यह बात कही। पीएम मोदी 22 जून को अमेरिका जाएंगे। हमारे पास इन संबंधों को नई ऊंचाई पर पहुंचाने का मौका है।
अमेरिकी राजदूत ने कहा, ‘हम सुरक्षित भारत चाहते हैं और भारत के साथ मिलकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित बनाना चाहते हैं। भारत और अमेरिका एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं और हमारी रक्षा साझेदारी इस भरोसे का प्रमाण है।’ गार्सेटी ने कहा कि पहले पीएम मोदी का अमेरिका दौरा और फिर सितंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की भारत यात्रा से संबंधों को और मजबूती मिलेगी। भारत को लेकर चीन के रुख पर गार्सेटी ने कहा कि अमेरिका सीमा और संप्रभुता का सम्मान करता है। कोई देश अपनी मर्जी से यथास्थिति नहीं बदल सकता है।
ऐसा रिश्ता किसी अन्य देश से नहीं
मीडिया से बातचीत में भारत से संबंधों को खास बताते हुए गार्सेटी ने कहा, ‘हम अत्याधुनिक हथियार भारत को दे रहे हैं और ऐसी टेक्नोलाजी भी ट्रांसफर कर रहे हैं, जिससे भारत अपने यहां इन्हें बना सके। ऐसा हमने अपने किसी अन्य बहुत करीबी सहयोगी के मामले में भी नहीं किया है। यह भारत के साथ गहरी दोस्ती और ऐसी रणनीतिक साझेदारी का प्रमाण है, जैसा दुनिया में कहीं और नहीं है। अगर इसे विशेष नहीं कहेंगे तो फिर कुछ भी विशेष नहीं हो सकता।’
आतंकवाद से निपटने पर भी साथ हैं दोनों देश
गार्सेटी ने कहा कि आतंकियों को उनके परिणाम तक पहुंचाने के लिए दोनों देश काम कर रहे हैं और हम रुकेंगे नहीं। अफगानिस्तान की ओर से खतरे को लेकर भारत की चिंता पर उन्होंने कहा, ‘दोनों देशों की चिंता समान है। हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकवाद, ड्रग्स तस्करी और अन्य अपराधों के लिए न होने पाए। हम इस बात का भी सम्मान करते हैं कि यह भारत के लिए पड़ोसी देश का मसला है।’
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