श्री. गजेंद्रजी आयलवाड़ का यशस्वी सफर
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श्री. गजेंद्रजी आयलवाड़, संघर्ष और मेहनत से भरा सफर पार कर आज एक यशस्वी उद्योजक बन चुके है। उनका यह सफ़र बचपन से ही संघर्षो से भरा हुआ रहा है। बिलकुल कमजोर आर्थिक परिस्थिति से गुजरते हुए उन्होंने पढाई पूरी की और एक यशस्वी उद्योजक बनने का सफर उन्होंने तय किया है।
बचपन से ही कमजोर आर्थिक परिस्थिति की वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। जब वह कक्षा दूसरी में पढ़ रहे थे, उस दौरान उनके ऊपर मुसीबतो का पहाड़ टूट पड़ा था। इतनी छोटीसी उम्र में उन्हें उनके पिता को खो दिया। कक्षा दूसरी से लेकर आगे का सफर उनके लिए काफी मुश्किलों से भरा रहा। दो समय का खाना पाने के लिए भी उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ रही थी।
इतनी मुश्किलों से भरी जिंदगी होने के बावजूद उन्होंने उसका असर उनकी पढ़ाई पर नहीं होने दिया। पाठशाला की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें अपनी महावद्यालयीन पढाई पूरी करने के लिए छ. संभाजी नगर शहर जाना पड़ा। वहा पर भी काम करते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई चालू रखी, महाविद्यालयीन पढाई पूर्ण करने के बाद उन्होंने मेंटेनन्स का काम करना शुरू किया। बचपन से ही विविध जगहों पर काम करते हुए उन्होंने ढेर सारा अनुभव संपादन किया। उसी दौरान छ. संभाजी नगर में उनके भाई ने आर.ओ. संबंधित व्यवसाय शुरू किया, उनके भाई के साथ मिलकर उन्होंने मार्केटिंग का भी काम किया था।
गजेंद्रजी का बचपन से ही व्यवसायिक बनने का सपना था। पर कमजोर आर्थिक परिस्थिति की वजह से उन्हें उनके सपनो से हमेशा समझौता करना पड़ रहा था और व्यवसाय करने के लिए पैसो की भी बहुत कमी थी। पर दृढ़ इच्छाशक्ति, आत्मविश्वास और नौकरी करते हुए मिले अनुभव के साथ उन्होंने उद्योजक बनने के अपने सपने को आखिरकार आकार देना शुरू किया।
अतुलनीय बुद्धिमत्ता और रचनात्मकता के साथ उन्होंने ‘बाबा इंटरप्राइजेज’ की नीव रखी, सिविल वर्क्स के लिए आवश्यक वस्तुओंकी नवरचनात्मकता के साथ निर्मिति करना उन्होंने शुरू किया। ५-६ लाख रुपयों का कर्ज़ा लेकर ‘बाबा इंटरप्राइजेज’ की स्थापना हुई। व्हिलेज डेव्हलपमेंट, गार्डन डेव्हलपमेंट, होटल, हॉस्पिटल के लिए उपयुक्त वस्तुओ की निर्मिति करते हुए यह व्यवसाय आज सरकारी कामो के लिए भी विविध वस्तुओ की निर्मिति कर रहा है।
देश के विविध शहरो से टीम जमा करते हुए उन्होंने शून्य से शुरू किया हुआ यह व्यवसाय आज सफलता के नए आयामों को छू रहा है। उनका यह सफर काफी उतार चढ़ाओ से गुजरते हुए आज सफलता के शिखर पर विराजमान है। गजेंद्रजी के इस सफर में उनके माँ और पत्नी ने उनका हर मोड़ पर साथ दिया, आने वाली हर दिक्कतों का उन्होंने गजेंद्रजी का डटकर साथ दिया। गजेंद्रजी के सफल उद्योजक बनने में उनके परिवार का उन्हें बहुत साथ मिला।
गजेंद्रजी का कमजोर आर्थिक परिस्थिति से लेकर एक यशस्वी यद्योजक बनने तक का सफर नवउद्योजको के लिए काफी प्रेरणादाई है। हम रिसिल डॉट इन की ओर से उन्हें ढ़ेर सारी शुभकामनाए देते है।
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