नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 23, 2025

    मंगल ग्रह पर करोड़ों साल पहले पानी में लहरें उठा करती थीं! NASA के रोवर ने खोजे हैरान करने वाले सबूत।

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    मंगल ग्रह पर मौजूद नासा के रोवर ने लहरों के प्राचीन निशान खोजे हैं. इनसे पता चलता है कि प्राचीन मंगल पर पानी बर्फ से ढका हुआ नहीं था.

    NASA के Curiosity रोवर ने मंगल ग्रह पर 3.7 बिलियन साल पहले मौजूद तरल पानी के संभावित सबूत खोजे हैं. वैज्ञानिकों ने मंगल की सतह पर छोटे उतार-चढ़ाव (लहरें) देखे हैं, जो पृथ्वी पर रेतीले झीलों के तल में दिखने वाली छोटी-छोटी लहरों जैसे हैं. यह खोज इस ओर इशारा करती है कि मंगल पर कभी खुले में पानी के सिस्टम रहे होंगे.

    रोवर की नई खोज: तरल पानी के निशान
    मंगल पर लहरों के सबूतों से जुड़ी स्टडी Science Advances जर्नल में छपी है. स्टडी के लेखक कैलटेक के वैज्ञानिक जॉन ग्रोटज़िंगर और माइकल लैम्ब हैं. उन्होंने पाया कि ये तरंगें मंगल पर सूखे जल निकायों की सतह पर बची हुई हैं.

    ये तरंगें पृथ्वी के समुद्र तटों और झीलों में देखी जाने वाली लहरों जैसी हैं, जो पानी के हवा द्वारा प्रवाहित होने पर बनती हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह दिखाता है कि मंगल पर पानी बर्फ में जमे होने के बजाय तरल रूप में था और खुली हवा के संपर्क में था.

    उथली झील में भरा था पानी
    गेल क्रेटर में मिले इन सबूतों का एनालिसिस बताता है कि वे 3.7 बिलियन साल पहले बनी थीं. इसका मतलब है कि उस समय मंगल का वातावरण आज की तुलना में अधिक गर्म और सघन था, जो खुले पानी को बनाए रखने के लिए पर्याप्त था.

    कंप्यूटर मॉडलिंग के जरिए वैज्ञानिक यह अनुमान लगाने में सक्षम हुए कि यह झील उथली थी, लगभग 2 मीटर से भी कम गहरी. तरंगों की ऊंचाई 6 मिमी थी और उनके बीच की दूरी 4-5 सेमी थी, जो झील की गहराई का संकेत देती है.

    NASA के Opportunity Rover ने भी मंगल पर तरंगों के प्रमाण पाए थे, लेकिन उस समय यह स्पष्ट नहीं था कि वे तरल या बर्फीले पानी से संबंधित थीं.

    मंगल: पृथ्‍वी का ‘सिस्टर प्लैनेट’
    मंगल, सौरमंडल का चौथा ग्रह और आकार में दूसरा सबसे छोटा ग्रह है. इसका लाल रंग इसकी सतह पर मौजूद लौह ऑक्साइड के कारण है. यह पृथ्‍वी से काफी मिलता-जुलता ग्रह है. यहां से घाटियां, ज्वालामुखी, और सूखी नदी की धाराओं के सबूत मिले हैं.

    हालांकि, पृथ्वी के विपरीत, मंगल की सतह ठंडी और शुष्क है, इसके ध्रुवीय टोपी मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ से बनी हैं, और इसका वातावरण सांस लेने योग्य नहीं है.

    Curiosity Rover: मंगल पर NASA का योद्धा
    NASA ने 2011 में Curiosity Rover को मंगल पर भेजा था. यह 2012 में मंगल पर पहुंचा और तब से गेल क्रेटर (Gale Crater) के आसपास के इलाके का एनालिसिस कर रहा है. इसका मकसद मंगल की जलवायु और जियोसाइंस की स्टडी करना है.

    रोवर को यह भी पता लगाना है कि क्या यह क्षेत्र कभी आदिम जीवन का समर्थन कर सकता था. Curiosity में कई उपकरण लगे हैं, जैसे कि मिट्टी के नमूने जुटाने करने के लिए ड्रिल, कैमरे, और वायुमंडलीय नमूनों का एनालिसिस करने वाले इंस्ट्रूमेंट.

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You may have missed

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    3:29 AM