मैनपावर की कमी का असर सरकारी योजनाओं पर पड़ता है.
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आदिवासी बहुल जिला कहे जाने वाले नंदुरबार में प्रशासन कुपोषण, बाल मृत्यु दर, पलायन और बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के खिलाफ प्रभावी कदम नहीं उठा पाया है.
नंदुरबार: आदिवासी बहुल जिले के रूप में मशहूर नंदुरबार में कुपोषण, बाल मृत्यु दर, पलायन और बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने में प्रशासन सफल नहीं हो पाया है. दूसरी ओर, जिले में राजमार्ग अवरुद्ध होने, कम कर्मचारियों के कारण सरकारी योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में बाधाएं जैसी समस्याएं बरकरार हैं।
पिछले कुछ वर्षों में जिले में कलेक्टर कार्यालय, जिला परिषद, पुलिस अधीक्षक कार्यालय, न्यायालय, निर्माण विभाग, खाद्य एवं औषधि प्रशासन जनजातीय परियोजना कार्यालय, जाति सत्यापन विभाग, समाज कल्याण विभाग की टोलेजांग इमारतें बनाई गईं।
बहरहाल, सरकारी कार्यालयों में मैनपावर की कमी सिरदर्द बनती जा रही है. चिकित्सा क्षेत्र में अपर्याप्त कर्मचारियों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाओं पर अत्यधिक बोझ है। भले ही जिला कुपोषण, पलायन, बाल मृत्यु जैसी समस्याओं से ग्रस्त है, लेकिन प्रशासन इनके खिलाफ प्रभावी कदम उठाने में सफल नहीं हो पाया है. स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी बनी रहती हैं।
जिले में आश्रम विद्यालयों की चमचमाती इमारतें तो खड़ी हैं, लेकिन उनमें मिलने वाली शिक्षा की गुणवत्ता पर सवालिया निशान बना हुआ है। मंत्री द्वारा इस संबंध में सख्त कदम उठाने के बाद विभाग की ओर से इसका विरोध किया गया. प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना समेत विभिन्न योजनाओं से बनी जिले की कई सड़कें बदहाल हैं।
जिले से गुजरने वाले सूरत-धुले राष्ट्रीय राजमार्ग का रुका हुआ काम, मंजूरी मिलने के बावजूद शेवाली नेत्रंग, अंकलेश्वर-बरहानपुर राजमार्गों की खराब हालत जिले के विकास में बाधक बनी हुई है. जिले में लागू प्रधानमंत्री घरकुल योजना और शौचालय योजना में भारी अनियमितता बरती गयी है.
सड़क से वंचित गांव
जिले के कई पड़ाव, महल और गांव आज भी सड़क और विद्युतीकरण से वंचित हैं। पिछले कुछ वर्षों में जिले में कोई बड़ा उद्योग नहीं लगा है। हजारों स्थानीय आदिवासी आजीविका के लिए पड़ोसी गुजरात या महाराष्ट्र के अन्य जिलों की ओर पलायन कर रहे हैं। इस दौरान सेना के चिकित्सा विभाग ने जिले में सिकल सेल रोगी खोज अभियान चलाया. लेकिन सरकार और प्रशासन ने इस पर कोई कदम नहीं उठाया. कई कारणों से जिले में विकास का बैकलॉग पूरा नहीं हो सका है.
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