एक सप्ताह के भीतर जनता से सार्वजनिक माफी मांगें; बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट का आदेश
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हालांकि योगगुरु रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की बिना शर्त माफी पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया, लेकिन एलोपैथी पर उनकी टिप्पणियों पर नाराजगी जताई.
सुप्रीम कोर्ट ने आज योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को एक सप्ताह के भीतर जनता से माफी मांगने का निर्देश दिया। भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित कर एलोपैथी दवाओं की आलोचना करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही अपनी नाराजगी जता चुका है। आज जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्ला की बेंच के सामने सुनवाई में कोर्ट ने कहा, ”आप भले ही अच्छा काम कर रहे हों लेकिन आपको एलोपैथी को बदनाम करने का कोई अधिकार नहीं है.” पीठ ने इस सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद रहे बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की बिना शर्त माफी पर भी गौर किया.
पिछले हफ्ते 10 अप्रैल को जब इस मामले की सुनवाई पीठ के समक्ष हुई तो पीठ ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की माफी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. आज बाद में दोनों ने कहा कि वे सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने को तैयार हैं. उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर एक नोटिस का जवाब देते हुए यह बिना शर्त माफी मांगी।
इस मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी.
पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट 17 अगस्त 2022 से सुनवाई कर रहा है। दावा किया गया था कि पतंजलि की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। इस दावे पर आपत्ति जताते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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