महाराष्ट्र मौसम समाचार: ‘इन’ क्षेत्रों में मंद पड़ा मानसून; ‘यहाँ’ हुई जोरदार बारिश, राज्य में वर्षा की विस्तृत रिपोर्ट
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महाराष्ट्र में दाखिल हुए मानसून ने वर्तमान में अधिकांश जिलों में उपस्थिति दर्ज कराई है, लेकिन इन दक्षिण-पश्चिमी मौसमी हवाओं की गति कुछ हद तक मंद होती दिख रही है।
मानसून की स्थिति:
शुरुआती हफ्ते में राज्य के अधिकांश हिस्सों में अच्छी बारिश हुई, लेकिन मानसून का दूसरा हफ्ता कुछ हद तक कमज़ोर रहा। राज्य के कोकण क्षेत्र, मराठवाड़ा और मुंबई शहर तथा उपनगरों में जोरदार बारिश करने वाले मानसून की गति कुछ धीमी हो गई। लेकिन विदर्भ में, जहां मानसून ने अपेक्षित समय पर दस्तक नहीं दी थी, वहां मौसम विभाग ने येलो अलर्ट जारी किया है।
येलो अलर्ट:
मौसम विभाग के अनुसार, विदर्भ में शुक्रवार (14 जून 2024) को बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। विदर्भ के यवतमाल, वाशिम, बुलढाणा और अकोला में जोरदार बारिश का अनुमान व्यक्त किया गया है। अगले 24 घंटों में मुंबई में भी हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। विदर्भ को छोड़कर शेष महाराष्ट्र में ग्रीन अलर्ट जारी किया गया है, इसलिए अधिकांश क्षेत्रों में छिटपुट बारिश की संभावना है।
कोकण क्षेत्र की स्थिति:
कोकण में वर्तमान में मध्यम से भारी बारिश हो रही है, जिससे भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, रत्नागिरी-कोल्हापुर को जोड़ने वाले अणुस्कुरा घाट में बारिश के कारण भूस्खलन हुआ है, जिससे घाट की दोनों तरफ की यातायात ठप हो गई है।
मानसून की प्रगति:
लगातार आगे बढ़ने वाले मानसून ने गुरुवार को अधिक प्रगति नहीं की। वर्तमान में यह दक्षिण-पश्चिमी मौसमी हवाएं जळगांव और अमरावती क्षेत्र में स्थिर हैं, और अगले 48 घंटों के दौरान यहाँ बारिश की तीव्रता अपेक्षाकृत कम रहेगी। लेकिन, तूफानी हवाओं और गरज के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है।
बंगाल की खाड़ी की स्थिति:
बंगाल की खाड़ी पर सक्रिय मौसमी हवाएं लगभग पांच दिनों से मंद हैं, जिसका प्रभाव राज्य में वर्षा पर पड़ता दिख रहा है। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, शुक्रवार से अगले पांच दिनों तक पुणे, सतारा, सांगली, कोल्हापुर, नासिक और मुंबई, कोकण में बारिश की तीव्रता कम रहेगी, जिससे कृषि कार्यों में देरी हो सकती है।
इस प्रकार, महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में मानसून की स्थिति बदल रही है। कुछ क्षेत्रों में भारी बारिश हो रही है, जबकि अन्य क्षेत्रों में मानसून की गति धीमी है, जिससे किसानों को अपने कृषि कार्यों में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
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