1066 सेकंड तक बनाया प्लाज्मा! चीन के आर्टिफिशियल सूर्य ने तहस-नहस कर डाला न्यूक्लियर फ्यूजन का रिकॉर्ड।
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China Artificial Sun News 2025: चीन के ‘कृत्रिम सूर्य’ ने अपना ही वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ दिया है. यह 1,000 से भी ज्यादा सेकंड तक बेहद गर्म प्लाज्मा पैदा करने में सफल रहा.
चीन ने साफ-सुथरी ऊर्जा हासिल करने की ओर तेजी से कदम बढ़ाए हैं. उसके ‘कृत्रिम सूर्य’ यानी न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर ने एक बार फिर से विश्व रिकॉर्ड तोड़ा है. Experimental Advanced Superconducting Tokamak (EAST) ने 1,066 सेकंड तक सुपर-हॉट प्लाज्मा बनाए रखने में सफलता पाई. यह उपलब्धि पिछले रिकॉर्ड 403 सेकंड से दोगुनी से अधिक है.
न्यूक्लियर फ्यूजन से हमें लगभग असीमित ऊर्जा मिल सकती है, वह भी बिना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन या अधिक मात्रा में परमाणु कचरे के. हालांकि, वैज्ञानिक पिछले 70 वर्षों से इस तकनीक पर काम कर रहे हैं, लेकिन यह अभी भी व्यावहारिक उपयोग से दशकों दूर है.
चीन का ‘आर्टिफिशियल सन’
‘टोकामाक’ जैसे न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टरों को ‘आर्टिफिशियल सन’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे ऊर्जा पैदा करने के लिए उसी प्रक्रिया का उपयोग करते हैं जो सूर्य में होती है. इसमें दो हल्के परमाणुओं को अत्यधिक तापमान और दबाव के जरिए मिलाकर एक भारी परमाणु बनाया जाता है. धरती पर बने रिएक्टरों में सूर्य जितना दबाव नहीं होता, इसलिए वैज्ञानिक इसे कई गुना अधिक तापमान पर चलाते हैं.
EAST एक magnetic confinement reactor या टोकामाक है, जो प्लाज्मा को लंबे समय तक जलाने और इसे नियंत्रित रखने के लिए डिजाइन किया गया है. यह रिएक्टर प्लाज्मा को एक डोनट-आकार के चेंबर में गर्म करता है और इसे शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्रों के माध्यम से फंसा कर रखता है.
न्यूक्लियर फ्यूजन की ग्लोबल रेस
EAST अकेला रिएक्टर नहीं है जो न्यूक्लियर फ्यूजन पर काम कर रहा है. दुनियाभर में कई रिएक्टर फ्यूजन तकनीक विकसित करने में जुटे हैं. चीन International Thermonuclear Experimental Reactor (ITER) प्रोग्राम का हिस्सा है, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया और रूस सहित कई देश शामिल हैं.
ITER रिएक्टर दक्षिण फ्रांस में बनाया जा रहा है और इसमें दुनिया का सबसे शक्तिशाली चुंबक होगा. यह 2039 में शुरू होने की उम्मीद है. 2022 में अमेरिका के नेशनल इग्निशन फैसिलिटी (NIF) ने भी अपने कोर में इग्निशन हासिल किया था. हालांकि, NIF और EAST जैसे सभी मौजूदा रिएक्टर अभी भी ऊर्जा उत्पादन से ज्यादा ऊर्जा का उपयोग करते हैं.
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