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    April 20, 2025

    बचपन में खो दी थी आंखों की रोशनी, IAS बनने से पहले क्रैक किया JEE और फिर UPSC.

    1 min read
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    उनके मजबूत सपोर्ट सिस्टम, खासकर उनके माता-पिता ने अहम भूमिका निभाई. 12वीं क्लास में एक टीचर के मोटिवेशन से अंकुरजीत सिंह ने आईआईटी में आवेदन करके एक साहसिक कदम उठाया.

    IAS Ankurjeet Singh UPSC Rank: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) पास करना बहुत मुश्किल काम है. इसे भारत की सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक माना जाता है. इस प्रतियोगी परीक्षा को पास करने के लिए घंटों तक लगातार पढ़ाई करते हैं. हर साल हजारों उम्मीदवार IAS, IFS, IRS और IPS बनने के लिए परीक्षा देना चाहते हैं. उनमें से केवल कुछ ही सबसे ज्यादा कंपटीटिव एग्जाम में सफल होते हैं, जिसमें तीन पार्ट होते हैं: प्री एग्जाम, मेंस एग्जाम और इंटरव्यू. हालांकि, इन सभी चुनौतियों के बावजूद, अंकुरजीत सिंह के लिए यह परीक्षा और भी कठिन हो गई , जिन्होंने बचपन में ही अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी.

    छोटी सी उम्र में, जब ज़्यादातर बच्चे अपने आस-पास की दुनिया को खोज रहे होते हैं, अंकुरजीत सिंह को एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा क्योंकि उनकी आंखों की रोशनी कम होने लगी थी. आखिरकार, उन्होंने अपनी आंखों की रोशनी खो दी, लेकिन उनका दृढ़ संकल्प अटल रहा.

    हरियाणा के यमुनानगर से आए अंकुरजीत सिंह ने कम उम्र से ही असाधारण एजुकेशनल प्रतिभा दिखाई. हालांकि, उनके जीवन में तब एक बड़ा मोड़ आया जब बचपन में ही उनकी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगी. जब वे स्कूल पहुंचे, तो ब्लैकबोर्ड पढ़ना उनके लिए बहुत चुनौतीपूर्ण हो गया, जिससे अंततः वे पूरी तरह ब्लाइंड हो गए.

    इस बाधा के बावजूद, अंकुरजीत की ज्ञान की इच्छा प्रबल रही. अपने परिवार, खासकर अपनी मां के सहयोग से, जो उन्हें पाठ जोर से पढ़कर सुनाती थीं, उन्होंने दृढ़ संकल्प के साथ अपनी शिक्षा प्राप्त की.

    एक स्टूडेंट के रूप में, अंकुरजीत ने हमेशा आगे बढ़कर काम किया. जब उनके साथी गर्मी की छुट्टियों का आनंद ले रहे थे, तब उन्होंने अपना टाइम अपनी मां की सहायता से अपनी स्कूल की किताबों को पूरा करने में लगाया, ताकि वह ध्यान से सुनकर क्लास के लेक्चर को समझ सकें. बिना रोशनी के दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक की तैयारी के लिए जबरदस्त अनुकूलन की आवश्यकता थी.

    शुरुआती दौर में, उन्होंने बड़े पाठों को पढ़ने के लिए मैग्नीफायर का इस्तेमाल किया. लेकिन जैसे-जैसे उनकी रोशनी कम होती गई, उन्होंने टेक्नोलॉजी की ओर रुख किया – पढ़ाई के लिए वॉयस-ओवर सॉफ़्टवेयर और ऑडियोबुक पर निर्भर हो गए. उनकी डिसिप्लिन्ड अप्रोच, जिसमें उनका स्टडी मेटेरियल को कुछ विश्वसनीय सोर्स तक सीमित रखना और उन्हें बार-बार फिर से देखना शामिल था, ने उन्हें फोकस करने में मदद की.

    अंकुरजीत ने यूपीएससी परीक्षा में तीन बार अटेंप्ट किया और आखिरकार 2017 में AIR 414 के साथ इसे पास कर लिया. इस दौरान, उनके मजबूत सपोर्ट सिस्टम, खासकर उनके माता-पिता ने अहम भूमिका निभाई. उन्होंने सुनिश्चित किया कि उन्हें अपनी स्थिति से निपटने के लिए इमोशनल सपोर्ट और संसाधन मिले, जिससे वह अपने लक्ष्य पर पूरी तरह से फोकस कर सकें. इतना ही नहीं, 12वीं क्लास में एक टीचर के मोटिवेशन से अंकुरजीत सिंह ने आईआईटी में आवेदन करके एक साहसिक कदम उठाया.

    आंखों की रोशनी न होने के बावजूद, उन्होंने एंट्रेंस एग्जाम में सफलता प्राप्त की और आईआईटी रुड़की में सीट हासिल की. दिलचस्प बात यह है कि अंकुरजीत को सेना में शामिल होने में भी रुचि थी. बारहवीं क्लास पूरी करने के बाद, उन्होंने एनडीए परीक्षा के लिए भी आवेदन किया. द ट्रिब्यून के साथ एक इंटरव्यू के दौरान, उन्होंने कहा, “मेरे पैरेंटल अंकल सेना में थे और देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए. मेरे मन में हमेशा सेना के लिए सम्मान था, लेकिन मेरे पिता ने मुझे आश्वस्त किया कि भले ही मैं लिखित परीक्षा पास कर लूं, लेकिन मेडिकल टेस्ट पास करना एक चुनौती होगी.”

    हाल ही में अंकुरजीत सिंह को जालंधर नगर निगम का अतिरिक्त आयुक्त नियुक्त किया गया. उनके समर्पण को अनदेखा नहीं किया जा सकता, क्योंकि पंजाब सरकार ने अब उन्हें जालंधर विकास प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक के प्रतिष्ठित पद पर ट्रांसफर कर दिया है. अपने असाधारण सफर के माध्यम से, अंकुरजीत कई लोगों को मोटिवेट करते रहते हैं.

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