लोकसभा: ‘इन’ 3 सीटों से जूझ रहा है महागठबंधन! शिंदे को बीजेपी के लिए छोड़ना होगा किला? दिशा-निर्देश सीधे दिल्ली से
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महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर शुरू हुई खींचतान अभी भी खत्म नहीं हुई है. कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में महागठबंधन में थोड़ी खटास है और दिल्ली में भाजपा नेतृत्व को सीधे मध्यस्थता करनी पड़ी है।
लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की अंतिम सूची अभी घोषित नहीं की गई है. इसकी वजह ये है कि महायुतिया में 3 सीटों से दरार पड़ गई है. एक तरफ जहां महाविकास अघाड़ी में दरार है तो वहीं महागठबंधन में भी घमासान जारी है. इस बीच बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस पर ध्यान दिया है और जल्द से जल्द इसका समाधान निकालने को कहा है. तो क्या यह दुविधा टूटेगी या फिर महागठबंधन में पेंच फंस जाएगा? आने वाले दिनों में ये तस्वीर साफ हो जाएगी.
एकनाथ शिंदे छोड़ेंगे किला?
महागठबंधन में जिन तीन सीटों पर विवाद चल रहा है उनमें ठाणे, पालघर, रत्नागिरी लोकसभा क्षेत्र शामिल हैं। बीजेपी इन तीन सीटों में से एक सीट चाहती है. लेकिन एकनाश शिंदे की शिवसेना इसके लिए बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं है. इस बीच खबर है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गढ़ ठाणे सीट पर अभी भी सहमति नहीं बन पाई है. दूसरी ओर, चूंकि शिंदे गुट के पास ठाणे में कोई प्रभावी उम्मीदवार नहीं है, इसलिए बीजेपी कह रही है कि यह सीट उसके हिस्से में आनी चाहिए.
भाजपा की स्थिति यह है कि थाना सीट भाजपा के लिए छोड़ देने से कोंकण में तीनों दलों में उचित समन्वय हो जाएगा। लेकिन जब से बीजेपी ने ठाणे की सीट पर दावा किया है, सीट बंटवारे का घोड़ा रुक गया है.
दिल्ली से निपटान आदेश
इस बीच सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने पालघर या रत्नागिरी में से किसी एक सीट पर चुनाव लड़ने का स्टैंड लिया है. इस संबंध में दिल्ली से महागठबंधन के नेताओं ने दोबारा बैठक कर समाधान निकालने का निर्देश दिया है.
कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा चुनाव?
सूत्रों के मुताबिक, अभी तक महागठबंधन में सीटों का बंटवारा तय नहीं हुआ है. मौजूदा फॉर्मूला एकनाथ शिंदे और अजित पवार को मंजूर नहीं है. इस सूत्र के मुताबिक, बीजेपी 30, शिवसेना 13 और एनसीपी 5 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. लेकिन एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने अपने हिस्से की ज्यादा सीटों की मांग की है.
एमएनएस समस्या?
जब महागठबंधन में सीट बंटवारे पर पहले से ही सहमति नहीं बन पाई है तो एमएनएस के शामिल होने से समीकरण बिगड़ रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि राज ठाकरे ने तीन सीटों की मांग की है. जिसमें दक्षिण मुंबई, शिरडी और नासिक शामिल हैं। इसमें शिर्डी और नासिक में शिंदे गुट के सांसद हैं. इसलिए शिंदे गुट यह सीट छोड़ने को तैयार नहीं होगा. इस बीच सूत्रों के मुताबिक एकनाथ शिंदे ने एमएनएस को महागठबंधन में लेने का विरोध किया है और इसे दिल्ली दरबारी कहने का प्रस्ताव रखा है. इसलिए देखना होगा कि इस संबंध में क्या निर्णय लिया जाता है.
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