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    April 22, 2025

    एलजी ने प्राइवेट स्कूलों में EWS एडमिशन के लिए आय सीमा बढ़ाने की दी सलाह, अभी कितनी है लिमिट?

    1 min read
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    पिछले तीन एकेडमिक सेशन में दिल्ली के निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लिए आरक्षित सीट में से औसतन लगभग 11 प्रतिशत सीट खाली रह गई हैं.

    दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से निजी स्कूलों में खाली सीट और उच्च न्यूनतम मजदूरी के मद्देनजर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कैटेगरी के तहत दाखिले के लिए आय सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने की सिफारिश की है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने आय सीमा से संबंधित दिल्ली उच्च न्यायालय के एक मामले से जुड़ी फाइल में कहा कि आदर्श रूप से आय सीमा आठ लाख रुपये होनी चाहिए, क्योंकि प्राथमिक और माध्यमिक लेवल पर लाभान्वित होने वाले छात्र ही आगे चलकर हायर एजुकेशन प्राप्त करते हैं.

    उपराज्यपाल ने कहा कि उनका विचार है कि निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस सीट पर एडमिशन के लिए प्रारंभिक सीमा उच्च शिक्षा संस्थानों में ईडब्ल्यूएस एडमिशन के मामले में लागू आठ लाख रुपये की प्रारंभिक सीमा के अनुरूप होनी चाहिए या उच्च न्यायालय द्वारा इंगित कम से कम पांच लाख रुपये होनी चाहिए. शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 के तहत गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीट आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों के लिए आरक्षित हैं.

    उपराज्यपाल ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा अधिसूचित न्यूनतम मजदूरी के अनुसार, कुशल श्रमिकों की सालाना आय 2.63 लाख रुपये है, जो दाखिले की प्रस्तावित सीमा 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है. सक्सेना ने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन एकेडमिक सेशन में दिल्ली के निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लिए आरक्षित सीट में से औसतन लगभग 11 प्रतिशत सीट खाली रह गई हैं. उन्होंने कहा, “ये रिक्त सीट साफ रूप से दिल्ली सरकार की नीतिगत विफलता को दर्शाती हैं, क्योंकि सालाना आय की सीमा अव्यवहारिक है.”

    उपराज्यपाल ने कहा, “मुख्यमंत्री को दृढ़तापूर्वक सलाह दी जाती है कि वह दिल्ली के ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के बड़े समूह के हित में दिल्ली के गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए प्रारंभिक आय सीमा पर फिर से विचार करें और आय सीमा को कम से कम पांच लाख रुपये तक बढ़ाएं.

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