Leader of the Opposition: नेता-प्रतिपक्ष बनने वाले कितने लोग प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे?
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नेता-प्रतिपक्ष या विपक्ष के नेता को स्वाभाविक रूप से प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जाता है. यदि इस कड़ी में देखा जाए तो सवाल उठता है कि अब तक कितने ऐसे नेता-प्रतिपक्ष रहे हैं जो बाद में प्रधानमंत्री बने.
राहुल गांधी 18वीं लोकसभा में विपक्ष के नेता (Leader of Opposition) बने हैं. गांधी परिवार से इस पद पर रहने वाले राहुल गांधी तीसरे सदस्य हैं. इससे पहले राजीव गांधी (1989-90) और सोनिया गांधी (1999-2004) इस पद पर रह चुकी हैं. नेता-प्रतिपक्ष या विपक्ष के नेता को स्वाभाविक रूप से प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जाता है. यदि इस कड़ी में देखा जाए तो सवाल उठता है कि अब तक कितने ऐसे नेता-प्रतिपक्ष रहे हैं जो बाद में प्रधानमंत्री बने.
दरअसल शुरू में ये पद नहीं था लेकिन 1969 में जब कांग्रेस पार्टी में विभाजन हुआ तो पहली बार ये शब्द अस्तित्व में आया. उस वक्त कांग्रेस (ओ) के रामसुभग सिंह ने इस पद के लिए दावा किया था. 1977 में Leaders of opposition in parliament act, 1977 के माध्यम से इसको वैधानिक दर्जा दिया गया और इसके साथ ही इसके अधिकार एवं सुविधाओं को परिभाषित किया गया.
1969 से लेकर अब तक 15 लोग नेता-प्रतिपक्ष रहे हैं. लालकृष्ण आडवाणी तीन बार इस पद पर रहे हैं और अटल बिहारी वाजपेयी और यशवंत राव चव्हाण दो बार इस पद पर रहे हैं. इसी तरह जगजीवन राम, सोनिया गांधी, शरद पवार, सुषमा स्वराज भी इस पद पर रहे. इनमें से अटल बिहारी वाजपेयी को छोड़कर कोई नेता-प्रतिपक्ष बनने के बाद प्रधानमंत्री नहीं बन सका. वाजपेयी पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने.
विपक्ष के नेता, कार्यकाल
1. रामसुभाग सिंह, 1969-70
2. यशवंतराव चव्हाण, 1977-78, 10 जुलाई-28 जुलाई, 1979
3. सीएम स्टीफन, 1978-79
4. जगजीवन राम, 29 जुलाई-22 अगस्त, 1979
5. राजीव गांधी, 1989-90
6. लालकृष्ण आडवाणी, 24 दिसंबर 1990-13 मार्च 1991; 21 जून 1991-26 जुलाई 1993; 2004-09
7. अटल बिहारी वाजपेयी, 1993-10 मई 1996, 1 जून 1996-4 दिसंबर 1997
8. पीवी नरसिम्हा राव, 16 मई-31 मई 1996
9. शरद पवार, 1998-1999
10. सोनिया गांधी 1999-2004
11. सुषमा स्वराज, 2009-14
अधिकार एवं कर्तव्य
1980 और 2014-24 के बीच इस पद पर कोई नहीं रहा. दरअसल किसी विपक्षी पार्टी के पास लोकसभा की कुल संख्या का कम से कम 10 फीसद यानी 54 सांसद होने पर ही ये पद मिलता है. 2014 से लेकर 2024 तक किसी पार्टी के पास ये संख्याबल नहीं था. इस बार कांग्रेस ने 99 सीटी जीती हैं. इसलिए उसको ये पद मिला है. इसके मुताबिक राहुल गांधी को विपक्ष के नेता के रूप में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होगा. सरकारी सचिवालय में उनके पास ऑफिस होगा. उनको वेतन और भत्ते मिलाकर हर महीने तकरीबन सवा तीन लाख रुपये मिलेंगे.
विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी अब लोकपाल, सीबीआई चीफ, मुख्य चुनाव आयुक्त और ऐसी ही अन्य महत्वपूर्ण नियुक्तियों के पैनल में होंगे. इसी तरह सीवीसी, केंद्रीय सूचना आयोग और एनएचआरसी प्रमुख के चयन संबंधी पैनल के भी सदस्य होंगे. प्रधानमंत्री ऐसे सभी पैनलों के प्रमुख होते हैं.
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