विद्युतीकरण के कारण कोंकण रेलवे को ‘ग्रीन रेलवे’ के रूप में मान्यता मिली; विद्युतीकरण से हर साल 190 करोड़ रुपये का लाभ होता है।
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विद्युतीकरण के कारण कोंकण रेलवे को ग्रीन रेलवे के रूप में जाना जा रहा है। कोंकण रेलवे के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक संतोष कुमार झा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विद्युतीकरण से डीजल लागत में हर साल 190 करोड़ रुपये की बचत हो रही है।
रत्नागिरी: कोंकण रेलवे को विद्युतीकरण के कारण ग्रीन रेलवे के रूप में जाना जा रहा है। कोंकण रेलवे के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक संतोष कुमार झा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विद्युतीकरण से डीजल लागत में हर साल 190 करोड़ रुपये की बचत हो रही है।
उन्होंने कहा कि कोंकण रेलवे के शत-प्रतिशत विद्युतीकरण से प्रदूषण रुक गया है। विद्युतीकरण पर्यावरण के अनुकूल और आर्थिक रूप से लाभदायक साबित हुआ है। रेलवे प्रशासन यात्रियों की सुविधा के लिए सेवाओं में सुधार करने का प्रयास कर रहा है। हर साल सात से आठ स्टेशनों पर आवास बनाने की योजना है और उनमें से कुछ का निर्माण पूरा हो चुका है। ये लाउंज किसी भी श्रेणी के टिकट वाले यात्रियों के लिए मात्र 50 रुपये प्रति घंटे की दर पर उपलब्ध होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में यात्रियों की सुविधा के लिए और अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराने को प्राथमिकता दी जाएगी। पिछले चार वर्षों में 10 नये स्टेशन और आठ नये रूट बनाये गये हैं। कोंकण रेलवे ने रिकॉर्ड मुनाफा कमाकर देशभर में रेलवे क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। झा ने कहा कि भविष्य में और भी नई परियोजनाएं शुरू की जाएंगी।
कोंकण रेलवे ने पिछले वित्त वर्ष में 301 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड मुनाफा कमाया है और पिछले वित्त वर्ष में इसका कारोबार 4,070 करोड़ रुपये रहा है। भविष्य में और भी बड़ी परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि कोंकण रेलवे यात्री और माल परिवहन के साथ-साथ सिविल इंजीनियरिंग कार्यों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।
कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन ने कटरा से श्रीनगर तक चुनौतीपूर्ण मार्ग को सफलतापूर्वक पूरा किया। इस परियोजना के पूरा होने के साथ ही रेलवे की कार्यकुशलता में एक नया अध्याय शुरू हो गया है। कोंकण रेलवे ने इस मार्ग पर 16 सुरंगें और 22 पुल बनाए हैं, जिसे इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि माना जाता है। इस मार्ग पर एक पुल बनाया गया है, जो दुनिया के सबसे ऊंचे एफिल टॉवर से लगभग 39 मीटर ऊंचा है। इस मार्ग पर परीक्षण भी पूरा हो चुका है। जल्द ही उस मार्ग पर यातायात शुरू हो जाएगा। झा ने यह भी कहा कि काठमांडू-नेपाल रेलवे लाइन का सर्वेक्षण भी कोंकण रेलवे द्वारा किया गया था।
उन्होंने कहा कि रत्नागिरी-दिवा पैसेंजर ट्रेन को दादर तक ले जाने में कोई परेशानी नहीं है, इस पर मध्य रेलवे के साथ चर्चा चल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि नागपुर-मडगांव विशेष ट्रेन को नियमित करने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया है और इस पर जल्द ही सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा। संगमेश्वर में यात्रियों ने अन्य रेलगाड़ियों के रुकने की मांग की है। झा ने बताया कि इस संबंध में रेल मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया है और अंतिम निर्णय केंद्र सरकार के स्तर पर लिया जाएगा।
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