नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 22, 2025

    वन नेशन वन इलेक्‍शन को हकीकत में बदलना नहीं आसान, फंसा है ‘पेंच’!

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    कोविंद समिति की सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए संविधान और अन्य कानूनों में 18 विशिष्ट संशोधनों की आवश्यकता होगी. इनमें जो महत्‍वपूर्ण बदलाव होंगे उनको जानना जरूरी है क्‍योंकि इन पर सब पक्षों को सहमत करते हुए एक प्‍लेटफॉर्म पर लाना मुश्किल कार्य है

    वन नेशन वन इलेक्‍शन प्रस्‍ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद माना जा रहा है कि 2029 के लोकसभा चुनावों तक इसको अमलीजामा पहनाया जा सकता है. इसके तहत हम लोग फिर वैसे ही व्‍यवस्‍था में पहुंच जाएंगे जब देश में एक साथ लोकसभा और राज्‍य विधानसभाओं के चुनाव होते थे. 1951-52 के पहले आम चुनावों से लेकर 1967 के चौथे लोकसभा चुनावों तक ये व्‍यवस्‍था रही है लेकिन बाद में कहानी बदल गई. अब कहा जा रहा है कि कोविंद कमेटी की सिफारिशें लागू करने के बाद फिर से पुरानी छूटी हुई व्‍यवस्‍था को स्‍वीकार कर लिया जाएगा लेकिन क्‍या मौजूदा दौर में ये सब इतना आसान है जितना कहा जा रहा है. कहीं ये पूरी कवायद ‘आधी हकीकत आधा फसाना’ जैसी कहावत न बनकर रह जाए?

    विश्‍लेषकों के मुताबिक बीजेपी के नेतृत्‍व वाली एनडीए सरकार के लिए मौजूदा दौर में ‘एक देश, एक चुनाव’ की अवधारणा को वास्तविकता बनाने के लिए आवश्यक संवैधानिक संशोधनों को पारित कराना कठिन कार्य हो सकता है. दरअसल एक साथ चुनाव कराने की अवधारणा को लागू करने के लिए सरकार को संविधान में 18 संशोधन करने पड़ सकते हैं. वास्‍तविकता ये है कि एनडीए को 543 सदस्यीय लोकसभा में 293 सांसदों और 245 सदस्यीय राज्यसभा में 119 सांसदों का समर्थन हासिल है.

    संविधान संशोधन के लिए जरूरी संख्‍याबल
    संसद में किसी संवैधानिक संशोधन को पारित करने के लिए प्रस्ताव को लोकसभा में साधारण बहुमत के साथ-साथ सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त होना आवश्यक है. यदि किसी संवैधानिक संशोधन पर मतदान के दिन लोकसभा के सभी 543 सदस्य उपस्थित हों, तो इसे 362 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी. लोकसभा में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के 234 सदस्य हैं.

    राज्यसभा में एनडीए के पास 113 सांसद हैं और उसे छह मनोनीत सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जबकि ‘इंडिया’ के पास 85 सदस्य हैं. यदि मतदान के दिन राज्यसभा के सभी सदस्य उपस्थित हों तो दो-तिहाई सदस्य यानी 164 सदस्य होंगे. कुछ संवैधानिक संशोधनों को राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुमोदित किए जाने की भी आवश्यकता होती है.

    पक्ष-विपक्ष
    छह राष्ट्रीय राजनीतिक दलों में से दो- भाजपा और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) एक साथ चुनाव के समर्थन में हैं, जबकि चार-कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) इसके विरोध में हैं. हाल के लोकसभा चुनावों के बाद, कोविंद समिति के समक्ष एक साथ चुनाव का समर्थन करने वाली पार्टियों के लोकसभा में 271 सदस्य हैं. कोविंद समिति के समक्ष एक साथ चुनाव का विरोध करने वाली 15 पार्टियों की संसद में कुल सदस्य संख्या 205 है.

    एनडीए के नेताओं को भरोसा है कि वे संसद में प्रमुख विधायी सुधारों के लिए समर्थन सुनिश्चित कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक और नागरिकता (संशोधन) विधेयक संसद द्वारा तब पारित किए गए थे, जब सत्तारूढ़ गठबंधन के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं था.

    सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में एक साथ चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी की संभावनाओं के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में कहा, “हम अगले कुछ महीनों में आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे. हमारी सरकार उन मुद्दों पर आम सहमति बनाने में विश्वास करती है, जो लंबे समय में लोकतंत्र और राष्ट्र को प्रभावित करते हैं. यह एक ऐसा विषय है, जो हमारे राष्ट्र को मजबूत करेगा.”

    क्‍या हैं जटिलताएं
    कोविंद समिति की सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए संविधान और अन्य कानूनों में 18 विशिष्ट संशोधनों की आवश्यकता होगी. इनमें जो महत्‍वपूर्ण बदलाव होंगे उनको जानना जरूरी है क्‍योंकि इन पर सब पक्षों को सहमत करते हुए एक प्‍लेटफॉर्म पर लाना मुश्किल कार्य है:

    1. सुझाए गए बदलावों में स्थानीय निकायों के चुनावों के लिए राज्य निर्वाचन आयोगों के परामर्श से भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची तैयार करने से संबंधित संविधान के प्रावधानों में संशोधन शामिल है (अनुच्छेद 325).

    2. इसके लिए संवैधानिक प्रावधान में संशोधन की भी आवश्यकता होगी, ताकि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के आम चुनावों के साथ-साथ नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव भी एक साथ कराए जा सकें (अनुच्छेद 324ए).

    3. समिति ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368(2) के तहत संविधान में संशोधन करने के लिए कम से कम आधे राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होगी, क्योंकि ये मामले राज्य के मामलों से संबंधित हैं.

    त्रिशंकु संसद या विधानसभा के मुद्दे पर विचार करते हुए समिति ने ऐसी स्थिति के समाधान के लिए एक तंत्र का सुझाव दिया है, जब कोई भी एक राजनीतिक दल या गठबंधन बहुमत हासिल नहीं कर पाता है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘पिछले कई दशकों से चली आ रही परंपरा के अनुसार, राष्ट्रपति या राज्यपाल को विभिन्न राजनीतिक दलों को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करके, यदि आवश्यक हो तो, एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम के तहत सहयोग करके सरकार बनाने की संभावना तलाशनी चाहिए.’’

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You may have missed

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    6:27 PM