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    April 23, 2025

    इसरो वैज्ञानिकों ने बनाया राम सेतु का पहला समुद्री नक्शा।

    1 min read
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    भारत में राम सेतु का सांस्कृतिक महत्व है. इस प्रकार का मानचित्र अब तक का सबसे बड़ा है।

    इसरो का व्यापक अंडरवॉटर ब्रिज मैप इसरो वैज्ञानिकों ने नासा के ICESat-2 उपग्रह की मदद से राम सेतु का पहला व्यापक अंडरवॉटर ब्रिज मैप बनाने में सफलता हासिल की है। राम सेतु एडम्स ब्रिज के नाम से भी प्रसिद्ध है। राम सेतु पर इसरो वैज्ञानिकों द्वारा किया गया शोध ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इस खोज निबंध का श्रेय इसरो के जोधपुर और हैदराबाद राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्रों के वैज्ञानिकों को दिया जाता है। उन्होंने इस शोध में कहा, ‘हमने नासा के ICESat-2 उपग्रह से पानी में प्रवेश करने वाले फोटॉन का उपयोग करके एडम्स ब्रिज का पहला विस्तृत नक्शा बनाया है। राम सेतु का 99.98 फीसदी हिस्सा बेहद उथले पानी में डूबा हुआ है. इसलिए जहाज से या वास्तव में पानी में उतरकर इस पुल का सर्वेक्षण करना संभव नहीं है, इसलिए सैटेलाइट की मदद ली गई है। इस मानचित्र को बनाने के लिए इसरो वैज्ञानिकों ने ICESat-2 उपग्रह की उन्नत लेजर तकनीक का उपयोग किया। गिरिबाबू दंडबाथुला ने इस परियोजना का नेतृत्व किया।

    2018 (अक्टूबर) से 2023 (अक्टूबर) तक के डेटा का उपयोग करके वैज्ञानिकों ने जलमग्न पुल की पूरी लंबाई का 10 मीटर रिज़ॉल्यूशन वाला नक्शा बनाया है। इस नक्शे के मुताबिक 29 किमी लंबे राम सेतु की समुद्र तल से ऊंचाई 8 मीटर है. इस प्रकार का मानचित्र अब तक का सबसे बड़ा है।

    राम सेतु भारत में रामेश्वरम द्वीप के दक्षिण-पूर्वी सिरे पर धनुषकोडी से लेकर श्रीलंका में मन्नार द्वीप के उत्तर-पश्चिमी सिरे पर तलाईमन्नार तक फैला है। यह प्राचीन पुल भारत के धनुषकोडी को श्रीलंका के तलाईमन्नार द्वीप से जोड़ता है। राम सेतु का सांस्कृतिक महत्व है क्योंकि इस पुल का उल्लेख रामायण में किया गया है। इसका उपयोग राम की वानर सेना ने लंका तक पहुँचने के लिए किया था। 9वीं शताब्दी ईस्वी तक फारस के लोग इस पुल को ‘सेतु बंधाई’ कहते थे। रामेश्वरम में मंदिर के रिकॉर्ड के अनुसार, पुल 1480 तक समुद्र तल से ऊपर था लेकिन बाद में तूफानों में क्षतिग्रस्त हो गया।

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