चांद पर मौजूद है बर्फ का जखीरा? लैंडिंग के डेढ़ साल बाद ISRO के चंद्रयान-3 ने दुनिया को चौंकाया।
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इसरो के चंद्रयान-3 ने एक बार फिर सारी दुनिया को हैरान कर दिया है. हाल ही में आई ताजी रिसर्च में पता चला है कि चंद्रयान पर भारी मात्रा में बर्फ हो सकता है.
चंद्रयान-3 से मिले डाटा की रिसर्च से पता चला है कि चंद्रमा के ध्रुवीय इलाकों में पहले के अंदाजे के मुताबिक ज्यादा बर्फ हो सकती है. अहमदाबाद के वैज्ञानिक दुर्गा प्रसाद करनम के मुताबिक चांद की सतह पर तापमान में बड़ा बदलाव बर्फ बनने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है. इन बर्फ के कणों की रिसर्च करने से यह समझने में मदद मिलेगी कि वे कैसे बने और कहां से आए. यह रिसर्च ‘कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट’ नाम की पत्रिका में छपी है.
कैसा है चांद का तापमान?
चंद्रयान-3 अगस्त 2023 को चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरा था. इस जगह को बाद में ‘शिव शक्ति प्वाइंट’ नाम दिया गया. यह जगह लगभग 69 डिग्री दक्षिण अक्षांश पर है. यहां दिन में तापमान 82 डिग्री सेल्सियस तक और रात में -170 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. वहीं, लैंडिंग वाली जगह के पास की एक सपाट जगह का तापमान दिन में 60 डिग्री सेल्सियस था. तापमान का यह अंतर नासा के आर्टेमिस मिशन के संभावित स्थलों से मेल खाता है.
क्या है ChaSTE?
चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर एक खास उपकरण ‘ChaSTE’ लगाया गया था, जिसने सतह और 10 सेंटीमीटर नीचे तक का तापमान मापा. इसरो के मुताबिक, ChaSTE चांद की मिट्टी के तापमान को समझने में मदद करता है. इसमें 10 सेंसर लगे हैं, जो अलग-अलग गहराइयों पर तापमान माप सकते हैं.
ढलान की वजह से बढ़ गई रीडिंग
करनम के मुताबिक लैंडिंग वाली जगह की हल्की ढलान की वजह से ChaSTE के तापमान रीडिंग बढ़ गए थे. वैज्ञानिकों ने एक मॉडल बनाया जिससे यह समझा जा सके कि ढलान के कोण तापमान को कैसे प्रभावित करते हैं. इस मॉडल से पता चला कि अगर कोई ढलान 14 डिग्री से ज्यादा हो और सूर्य की तरफ न हो, तो वहां बर्फ के जमने और टिके रहने की संभावना ज्यादा होती है. इसका मतलब है कि चांद के कई इलाकों में बर्फ बन सकती है और वहां से इसे प्राप्त किया जा सकता है.
सीधे भाप में बदल जाता है बर्फ
जब बर्फ को पानी में बदलने की संभावना के बारे में पूछा गया, तो करनम ने बताया कि चांद की सतह पर बहुत कम दबाव होता है, जिससे पानी तरल रूप में नहीं रह सकता. इसलिए बर्फ पिघलकर पानी नहीं बनेगी, बल्कि सीधे भाप में बदल जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि अब तक की जानकारी के मुताबिक चांद पर कभी जीवन के मुताबिक परिस्थितियां नहीं थीं.
‘इंसानों के रहने के लिए बर्फ जरूरी’
भविष्य में चंद्रमा पर इंसानों के रहने और खोज करने के लिए बर्फ एक बहुत जरूरी संसाधन होगा. इसलिए ChaSTE जैसे उपकरणों से और ज्यादा आंकड़े जुटाने की जरूरत है. वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद के कुछ ऊंचे इलाकों में बर्फ खोजने, संसाधन इकट्ठा करने और इंसानों के रहने के लिए उपयुक्त जगहें हो सकती हैं. साथ ही, ये जगहें तकनीकी रूप से भी आसान साबित हो सकती हैं.
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