क्या सोडोमी और लेस्बियनिज्म अपराध है? एनएमसी के सिलेबस में हुई वापसी।
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एनएमसी ने ‘हाइमन’, उसके प्रकार तथा चिकित्सीय-कानूनी महत्व जैसे विषयों को भी पुन: प्रस्तुत किया है.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने फोरेंसिक मेडिसिन एवं विष विज्ञान पाठ्यक्रम में ‘सोडोमी और लेस्बियनिज्म’ को कुकृत्य के तौर पर पुन: पेश किया है. किसी पुरुष द्वारा दूसरे पुरुष से जबरन यौन संबंध बनाने को ‘सोडोमी’ कहा जाता है जबकि दो महिलाओं के बीच यौन संबंधों को ‘लेस्बियनिज्म’ कहते हैं. एनएमसी ने ‘हाइमन’, उसके प्रकार तथा चिकित्सीय-कानूनी महत्व जैसे विषयों को भी पुन: प्रस्तुत किया है. साथ ही कौमार्य और कौमार्यभंग, इसकी वैधता और चिकित्सीय-कानूनी महत्व को परिभाषित किया है. मद्रास हाई कोर्ट के निर्देशानुसार 2022 में इन विषयों को समाप्त कर दिया गया था.
फोरेंसिक मेडिसिन और विष विज्ञान के अंतर्गत संशोधित पाठ्यक्रम में “भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए), यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो), सिविल और आपराधिक मामले, जांच (पुलिस जांच और मजिस्ट्रेट की जांच), संज्ञेय और गैर-संज्ञेय अपराध” आदि को भी शामिल किया गया है.
एनएमसी ने अपने चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम (सीबीएमई) दिशानिर्देश, 2024 में कहा है, “समय आ गया है कि मौजूदा नियमों व दिशानिर्देशों के विभिन्न घटकों के सभी पहलुओं पर पुनर्विचार किया जाए और उन्हें बदलती जनसांख्यिकी, सामाजिक-आर्थिक संदर्भ, धारणाओं, मूल्यों, चिकित्सा शिक्षा में प्रगति और हितधारकों की अपेक्षाओं के अनुरूप ढाला जाए.”
एनएमसी ने अपने दस्तावेज में कहा कि फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी में शिक्षण-अधिगम के अंत में, छात्र को चिकित्सा पद्धति के चिकित्सा-कानूनी ढांचे, आचार संहिता, चिकित्सा नैतिकता, पेशेवर कदाचार और चिकित्सा लापरवाही, चिकित्सा-कानूनी जांच करने और विभिन्न चिकित्सा-कानूनी मामलों के दस्तावेजीकरण को समझने में सक्षम होना चाहिए और संबंधित अदालती फैसलों सहित चिकित्सा पेशेवर से संबंधित नवीनतम अधिनियमों और कानूनों को समझना चाहिए.
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