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    April 25, 2025

    क्या किसी बॉस का अन्य कर्मचारियों के सामने अपने जूनियर पर चिल्लाना अपराध है? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला.

    1 min read
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    केवल अपमानजनक भाषा, अभद्र व्यवहार या असभ्य व्यवहार का प्रयोग भारतीय दंड संहिता की धारा 504 के अंतर्गत जानबूझकर अपमान नहीं माना जा सकता।

    कार्यस्थल पर वरिष्ठों के आचरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि यदि कोई वरिष्ठ अधिकारी कार्यस्थल पर किसी कर्मचारी को डांटता है तो इसे अपमान नहीं माना जा सकता और इसलिए उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर ऐसे मामलों को अपराध के दायरे में लाया गया तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसके साथ ही ऑफिस का माहौल भी खराब हो सकता है।

    यह फैसला हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय करोल और संदीप मेहता की पीठ ने दिया। पीठ ने स्पष्ट किया है कि केवल अपमानजनक भाषा, अभद्र व्यवहार या असभ्य व्यवहार का प्रयोग भारतीय दंड संहिता की धारा 504 के तहत जानबूझकर अपमान नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 504 शांति भंग करने के इरादे से अपमान करने से संबंधित है और इसके लिए दो साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है।

    इस बीच, अब इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 352 के तहत संशोधित कर दिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर राष्ट्रीय मानसिक विकलांग व्यक्ति सशक्तीकरण संस्थान के कार्यकारी निदेशक पर एक सहायक प्रोफेसर को अपमानित करने के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है।

    इसे जानबूझकर किया गया अपमान नहीं कहा जा सकता।
    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, “अगर कोई वरिष्ठ अधिकारी फटकार लगाता है, तो यह नहीं कहा जा सकता कि उसने जानबूझकर उसका अपमान किया।” “ये आरोप महज प्रयास प्रतीत होते हैं।” अदालत ने आगे कहा, “वरिष्ठों द्वारा फटकार का यह कृत्य कार्यस्थल पर अनुशासन और कर्तव्यों के पालन से संबंधित होना चाहिए। आमतौर पर यह माना जाता है कि कार्यस्थल पर प्रबंधन में एक व्यक्ति अपने अधीनस्थों से अपेक्षा करता है कि वे अपने पेशेवर कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ निभाएं।”

    क्या बात क्या बात?
    यह मामला 2022 का है। इस मामले में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि निदेशक ने अन्य कर्मचारियों के सामने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उसे फटकार लगाई। प्रोफेसरों ने यह भी कहा कि निदेशक ने संस्थान को पर्याप्त पीपीई किट उपलब्ध नहीं कराई है, जिससे कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा पैदा हो गया है।

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