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    April 29, 2025

    चांद पर भी खुदाई शुरू होने वाली है? अमेरिका ही नहीं, चीन ने भी बना लिया पुख्ता प्लान।

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    चांद हमेशा से इंसानी ख्वाबों और रोमांच का प्रतीक रहा है. अब चांद एक नए युग की दहलीज पर है. इस दशक के अंत तक चंद्रमा की सतह पर खनन कार्य शुरू होने की उम्मीद है.

    चांद हमेशा से इंसानी ख्वाबों और रोमांच का प्रतीक रहा है. अब चांद एक नए युग की दहलीज पर है. इस दशक के अंत तक चंद्रमा की सतह पर खनन कार्य शुरू होने की उम्मीद है. अमेरिका, चीन और कई प्राइवेट कंपनियां इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही हैं. लेकिन इससे जुड़े सवाल भी उठ रहे हैं.. क्या खनन से चांद का प्राकृतिक सौंदर्य बिगड़ जाएगा? और क्या हम इसके लिए तैयार हैं? आइये ऐसे ही सवालों का जवाब जानने की कोशिश करते हैं..

    चांद पर खनन क्यों जरूरी?
    नासा का ‘आर्टेमिस’ कार्यक्रम केवल अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेजने तक सीमित नहीं है. यह खनन कार्यों के लिए भी रास्ता खोल रहा है. चीन भी इसी दिशा में अपने कदम बढ़ा रहा है. चांद पर मौजूद पानी की बर्फ को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बदलकर ईंधन तैयार किया जा सकता है. वहां मौजूद दुर्लभ धातुओं का इस्तेमाल स्मार्टफोन जैसी प्रौद्योगिकियों में हो सकता है.

    पृथ्वी के घटते संसाधनों पर दबाव कम किया जा सकता है
    इसके साथ ही चांद पर खनन से पृथ्वी के घटते संसाधनों पर दबाव कम किया जा सकता है. निजी कंपनियां भी इस दौड़ में शामिल हैं. हो सकता है कि नासा के अगले मिशन से पहले ही कोई स्टार्टअप चांद पर खनन शुरू कर दे.

    क्या खनन से बदल जाएगा चांद का चेहरा?
    चांद पर खनन का सीधा असर उसके लुक पर भी पड़ सकता है. खनन के दौरान चंद्रमा की धूल दूर-दूर तक फैल सकती है. इससे चांद के चमकदार हिस्से और धूसर दिखने वाले हिस्सों का संतुलन बिगड़ सकता है. लंबे समय तक यह धूल चंद्रमा के प्राकृतिक स्वरूप को बदल सकती है. इसलिए, खनन के दौरान धूल प्रबंधन और पर्यावरण को न्यूनतम नुकसान पहुंचाने की रणनीति बनानी होगी.

    किसका है चांद.. इंसानियत का या किसी देश का?
    1967 की बाहरी अंतरिक्ष संधि ने चांद पर किसी भी देश के स्वामित्व के दावे को खारिज किया है. 1979 की चंद्रमा संधि ने इसे मानवता की साझा विरासत घोषित किया. हालांकि, 2020 के ‘आर्टेमिस’ समझौते ने खनन को कानूनी मान्यता दी, लेकिन चांद पर स्वामित्व के दावे को अस्वीकार किया. इन नियमों के बावजूद, यह सवाल अब भी बना हुआ है कि चांद से संसाधन निकालने का अधिकार किसे मिलेगा.

    खनिकों का जीवन कैसा होगा?
    चंद्रमा पर खनिकों का जीवन बेहद कठिन हो सकता है. लंबी कार्य अवधि, पानी और भोजन की कमी जैसे हालात सामान्य हो सकते हैं. सुरक्षा मानकों और उचित वेतन के बिना खनिकों के लिए काम करना खतरनाक हो सकता है. अंतरिक्ष में फंसे होने के कारण उनके पास अपनी स्थिति सुधारने के सीमित विकल्प होंगे. इसलिए, चांद पर खनन शुरू करने से पहले श्रमिकों की सुरक्षा और सुविधाओं का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.

    चांद पर खनन.. उम्मीदें और चुनौतियां
    चंद्रमा पर खनन से अंतरिक्ष अन्वेषण को नई दिशा मिलेगी और पृथ्वी के संसाधनों पर दबाव कम होगा. लेकिन यह कदम बहुत सोच-समझकर उठाने की जरूरत है. चांद को केवल एक खनन क्षेत्र नहीं, बल्कि मानवता के साझा भविष्य और प्रेरणा का प्रतीक बनाए रखना चाहिए.

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