क्या AAP-कांग्रेस का हाथ मिलाना मजबूरी, हरियाणा चुनाव में कौन किसके लिए जरूरी?
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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अचानक आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन का फैसला किया है और केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पार्टी नेताओं से राय मांगी है. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर हरियाणा चुनाव में कौन किसके लिए जरूरी है.
हरियाणा में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में क्या कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) मिलकर चुनाव लड़ेगी? अभी तक इस बात का फैसला नहीं हो पाया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार दोनों दल हरियाणा में गठबंधन पर बातचीत कर रहे हैं. इस बीच सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने निशाना साधा है और पार्टी के वरिष्ठ नेता अनिल विज (Anil Vij) ने मंगलवार को कहा कि हरियाणा में कांग्रेस के पास अपने दम पर चुनाव लड़ने की ताकत नहीं है, इसलिए वह आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ नजदीकियां बढ़ा रही है.
गठबंधन का फॉर्मूला तलाशने में जुटे कांग्रेस नेता
हरियाणा में अब तक एकला चलो की नीति पर काम कर रही कांग्रेस ने अचानक आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन का फैसला किया है. केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने आप से गठबंधन करने पर पार्टी नेताओं से राय मांगी है. इसके बाद से पार्टी नेता गठबंधन का फॉर्मूला तलाशने में जुट गए हैं, जिसमें लिए स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन, प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा शामिल हैं.
क्या आप-कांग्रेस का हाथ मिलाना मजबूरी?
लेकिन, इस बीच सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस (Congress) के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन मजबूरी है. क्या दोनों पार्टियों के अलग-अलग चुनाव लड़ने से नुकसान होगा. तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर हरियाणा चुनाव में कौन किसके लिए जरूरी है और कौन किसके लिए मजबूरी है. बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी हरियाणा में कांग्रेस और आप ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 9 और आप 1 सीट मिलकर लड़ी थी, जिसमें से कांग्रेस ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की और कुरुक्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरी आप को हरा का सामना करना पड़ा.
आम आदमी पार्टी (AAP) की अभी दिल्ली और पंजाब में सरकार है और अब पार्टी की नजर हरियाणा पर है. बताया जा रहा है कि कुरुक्षेत्र सहित पंजाब से सटे जिलों में आम आदमी पार्टी का प्रभाव हो सकता है. अभी आप सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है. अगर पार्टी ऐसा करती है तो भाजपा सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी वोट बंट जाएंगे, जो कांग्रेस के साथ आप के लिए नुकसानदेह है. इसके साथ ही इंडिया गठबंधन पर भी असर पड़ेगा.
हरियाणा में मजबूत हुई है आप
आम आदमी पार्टी (AAP) का हरियाणा में वोट शेयर बढ़ा है और कांग्रेस इसका फायदा उठाना चाहती है. दरअसल, आप ने 2019 के विधानसभा चुनाव में 46 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और तब उसे सिर्फ 0.5 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में आप के वोट शेयर में इजाफा हुआ है और सिर्फ 1 सीट पर चुनाव लड़ने के बावजूद उसे 3.9 फीसदी वोट मिले.
10 सीटों की मांग कर रही आम आदमी पार्टी
हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election 2024) के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस गठबंधन बनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं. दोनों पार्टियां सीट बंटवारे को लेकर बातचीत कर रही हैं. आप के सूत्रों के मुताबिक, आम आदमी पार्टी राज्य में 90 में से 10 सीट की मांग कर रही है, जबकि कांग्रेस सिर्फ सात सीटें देने को तैयार है. आप के सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा और कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल के बीच पहले ही दो दौर की बातचीत हो चुकी है और एक दो-दिन में वे दोबारा बैठक कर सकते हैं.
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