अंतरिम जमानत तो मिल गई लेकिन चार ‘सुप्रीम’ शर्तों ने बांध दिए अरविंद केजरीवाल के हाथ.
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सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को यह भी निर्देश दिया कि वह आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धनशोधन मामले में अपनी भूमिका के बारे में टिप्पणी नहीं करेंगे, वो किसी गवाह से सम्पर्क नहीं करेंगे.
देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए एक जून तक अंतरिम जमानत दे दी है. लेकिन साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तें भी लगाईं हैं. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत देते हुए कहा है कि केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय नहीं जाएंगे. इसके अलावा भी कई शर्तें केजरीवाल के सामने रखी गई हैं.
क्या क्या रखी गईं शर्तें
असल में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि अंतरिम जमानत के दौरान अरविंद केजरीवाल चीफ मिनिस्टर के दफ्तर या दिल्ली सचिवालय नहीं जाएंगे. केजरीवाल किसी फाइल पर दस्तखत नहीं करेंगे, बशर्ते एलजी से सहमति या क्लीयरेंस हासिल करने के लिए ऐसा करना जरूरी हो जाए. तीसरी शर्त केजरीवाल इस केस में अपनी भूमिका को लेकर कोई बयान नहीं देंगे, चौथी शर्त वो किसी गवाह से सम्पर्क नहीं करेंगे. साथ ही इस केस से जुड़ी फाइल को एक्सेस नहीं करेंगे.
भूमिका के बारे में टिप्पणी नहीं करेंगे..
सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को यह भी निर्देश दिया कि वह आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धनशोधन मामले में अपनी भूमिका के बारे में टिप्पणी नहीं करेंगे. अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ जेल से रिहाई के लिए 50 हजार रुपये की जमानत राशि जमा करनी होगी और इतनी ही राशि का मुचलका भरना होगा. कोर्ट ने यह भी कहा है कि अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देना उनके खिलाफ मामले के गुण-दोष पर शीर्ष अदालत की राय नहीं मानी जायेगी.
गिरफ्तार करने में देरी..
मालूम हो कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया. केजरीवाल को 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत मिली है. हालांकि जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने केजरीवाल को गिरफ्तार करने में देरी की.
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