प्रेरणादायक यात्रा: संतोष बापू वायचाल की सफलता की कहानी।
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सोलापुर: मोहोल, सोलापुर जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे संतोष बापू वायचाल आज एक सफल उद्यमी और समाजसेवी के रूप में जाने जाते हैं। 8 अक्टूबर 1982 को किसान माता-पिता बापू और सुनीता वायचाल के घर जन्मे संतोष को बचपन से ही मेहनत और लगन का पाठ पढ़ाया गया।
प्रारंभिक शिक्षा और संघर्ष
संतोष की शिक्षा मोहोल जिला परिषद स्कूल नं. 1 से शुरू हुई, जिसके बाद उन्होंने 9वीं तक की पढ़ाई कडलस हाई स्कूल, कडलस, मंगोला तालुका, सोलापुर जिले से पूरी की।
परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण संतोष ने 18 साल की उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। उन्होंने मोहोल में विभिन्न दुकानों में दर्जी के रूप में काम करना शुरू किया और रोज़ाना मात्र 50-100 रुपये कमाते थे। इसके बावजूद, उन्होंने अपने हुनर को निखारने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
नेटवर्क मार्केटिंग से उद्यमिता की शुरुआत
साल 2000 में, एक दोस्त ने संतोष को पार्ट-टाइम बिज़नेस के बारे में बताया, जिससे उनमें उद्यमिता के प्रति रुचि जगी। उन्होंने नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी ‘ऐमवे‘ जॉइन की और इसमें कार्य करना शुरू किया। हालांकि शुरुआती आय कम थी, लेकिन इस दौरान उन्होंने बिक्री, विपणन और नेतृत्व जैसे महत्वपूर्ण कौशल सीख लिए। बाद में, संतोष ने एक अन्य नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी से जुड़कर सफलता प्राप्त की और अच्छी आमदनी अर्जित की। लेकिन कंपनी के अचानक बंद हो जाने से उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ।
रियल एस्टेट में नई राह
अपने नुकसान से निराश हुए बिना, संतोष ने नई संभावनाओं की तलाश जारी रखी और एक रियल एस्टेट कंपनी में ठेकेदार के रूप में काम करना शुरू किया। उन्होंने सोलापुर और आसपास के क्षेत्रों में कई प्रोजेक्ट पूरे किए, लेकिन उद्योग में पारदर्शिता की कमी और अनुचित व्यवहार के कारण उन्होंने इस क्षेत्र में अपनी प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार किया।
2015 में, संतोष ने एक नई शुरुआत करने का फैसला किया और ‘सिद्ध नागेश बिल्डर्स एंड डेवलपर्स’ नामक रियल एस्टेट कंपनी में साझेदार के रूप में प्रवेश किया। उनके साथी सागर शिंदे और सचिन भोसले के साथ मिलकर उन्होंने कंपनी को स्थापित किया और गुणवत्ता युक्त प्रोजेक्ट्स पर काम करना शुरू किया। उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और कंपनी ने पंढरपुर और आसपास के क्षेत्रों में कई सफल प्रोजेक्ट्स पूरे किए। संतोष की कार्यनिष्ठा और गुणवत्तापूर्ण कार्य ने उन्हें उद्योग में पहचान और सम्मान दिलाया।
समाजसेवा में योगदान
व्यवसाय के अलावा, संतोष सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं। वे ‘माणुसकी फाउंडेशन, महाराष्ट्र’ के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। यह संगठन शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में वंचित समुदायों की सहायता करता है।
प्रेरणा और भविष्य की योजनाएँ
संतोष वायचाल की कहानी दृढ़ संकल्प, मेहनत और उद्यमिता की सच्ची मिसाल है। अनेक कठिनाइयों और असफलताओं के बावजूद, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और दूसरों के लिए प्रेरणा बने।
भविष्य की ओर देखते हुए, संतोष अपने मूल्यों—ईमानदारी, कड़ी मेहनत और सामाजिक जिम्मेदारी—को बनाए रखते हुए समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्ची सफलता केवल आर्थिक समृद्धि में नहीं, बल्कि समाज और समुदाय पर सकारात्मक प्रभाव डालने में भी निहित है।
संतोष वायचाल की प्रेरणादायक यात्रा हम सभी के लिए एक सबक है कि यदि हम अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहें, तो कोई भी बाधा हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती।
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