बोदवड के युवा आर्किटेक्ट लोकेश रमेश जैन की प्रेरणादायक यात्रा
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बोदवड, जलगांव के रहने वाले आर्किटेक्ट लोकेश रमेश जैन ने अपने बचपन के सपने को साकार कर एक सफल आर्किटेक्ट बनने की राह तय की। उनका सफर संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास से भरा रहा है।
बचपन का सपना और शिक्षा यात्रा
बचपन से ही आर्किटेक्ट बनने का सपना देखने वाले लोकेश ने अपनी स्कूली शिक्षा बोदवड और भुसावल के प्रतिष्ठित विद्यालयों – सेंट पीटर्स इंग्लिश मीडियम स्कूल, बियानी मिलिट्री स्कूल और एन.एच. रांका हाईस्कूल एवं जूनियर कॉलेज से पूरी की। हालाँकि, 12वीं कक्षा में उनके अंक उम्मीद से कम आए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। मेहनत और लगन के साथ प्रवेश परीक्षाओं में सफलता हासिल की और 2013 में डी.वाई. पाटिल स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, लोहेगांव, पुणे में दाखिला लिया।
आर्किटेक्चर की पढ़ाई और संघर्ष
2013 से 2018 तक की पाँच वर्षीय आर्किटेक्चर यात्रा उनके लिए सीख और संघर्ष से भरी रही। नए विषयों और कठिन चुनौतियों के बावजूद उन्होंने अपने सपने की ओर बढ़ना जारी रखा। तीसरा वर्ष सबसे कठिन माना जाता है, लेकिन उन्होंने इसे सफलतापूर्वक पार किया। चौथे वर्ष में कुछ बैकलॉग आने के बावजूद उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से सभी परीक्षाएँ पास कर लीं।
2017 में उन्होंने पुणे में प्रसिद्ध आर्किटेक्ट अतुल कटारिया के अधीन इंटर्नशिप की, जहाँ उन्होंने प्रैक्टिकल फील्ड का अनुभव प्राप्त किया। उनका अंतिम प्रोजेक्ट ‘मिक्स्ड यूज़ कॉम्प्लेक्स डिज़ाइन‘ था, जिसमें उन्होंने विभिन्न प्रकार की बिल्डिंग, कंस्ट्रक्शन तकनीक, और सेवाओं को शामिल किया। जून 2018 में वे आधिकारिक रूप से आर्किटेक्ट बन गए।
प्रोफेशनल करियर की शुरुआत
डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने बिना किसी ब्रेक के नौकरी करना शुरू कर दिया। मई 2018 में अहमदाबाद स्थित ‘आर्किटोस आर्किटेक्ट्स‘ में जूनियर आर्किटेक्ट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। यहाँ उन्होंने ऑफिस कल्चर और पैरामीट्रिक डिज़ाइन के बारे में सीखा। इसके बाद वे इंटीरियर डिज़ाइनिंग फर्म में कुछ समय कार्यरत रहे।
दिसंबर 2020 में वे पुणे चले आए और ‘एंड टी कंसल्टेंट्स‘ में काम किया, जहाँ उन्होंने हाउसिंग अपार्टमेंट डिज़ाइन, सरकारी स्वीकृति प्रक्रिया और ऑफिसियल पेपर वर्क में विशेषज्ञता हासिल की।
कोविड-19 का प्रभाव और स्वयं का व्यवसाय
कोविड-19 महामारी के दौरान जब नौकरी चली गई, तब उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने गृहनगर बोदवड में पहला बंगला प्रोजेक्ट शुरू किया। इस प्रोजेक्ट ने उनके करियर को नई दिशा दी। पेशेवर मुलाकातों के लिए स्थान की आवश्यकता महसूस होने पर उन्होंने 150 वर्गफुट का एक छोटा कार्यालय किराए पर लिया।
30 नवंबर 2020 को उन्होंने ‘डिज़ाइन-डेक आर्किटेक्ट्स‘ की स्थापना की। बोडवाड एक छोटा नगर होने के कारण वहाँ के लोगों को आर्किटेक्ट के महत्व के बारे में जागरूक करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन अपने समर्पण और मेहनत से उन्होंने अपनी पहचान बनाई।
स्वयं का निर्माण कार्य और विस्तार की योजना
जल्द ही उन्होंने अपने परिवार के किराना व्यवसाय के लिए ग्राउंड फ्लोर पर एक दुकान, बीच में अपने कार्यालय और ऊपर 5BHK निवास का निर्माण किया। अगस्त 2023 में उन्होंने अपने नए कार्यालय में स्थानांतरित होकर अपने व्यवसाय को और मजबूत किया। अब तक वे अकेले ही सभी प्रोजेक्ट्स, ऑफिस कार्य और साइट विज़िट्स संभाल रहे हैं।
जल्द ही वे जलगांव शहर में अपना कार्यालय स्थापित करने की योजना बना रहे हैं ताकि अपने व्यवसाय का और विस्तार कर सकें। उनका मानना है कि एक आर्किटेक्ट का असली परिचय उसके काम से होता है, न कि शब्दों से।
लोकेश रमेश जैन की यह यात्रा हमें सिखाती है कि यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत सच्चे मन से की जाए, तो किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। उनका समर्पण और संघर्ष युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है।
लोकेश रमेश जैन की कड़ी मेहनत और लगन को देखते हुवे, उन्हें Reseal.In की और से इस साल का “महाराष्ट्र उद्योजकता २०२५” इस पुरस्कार से सन्मानित किया जाने वाला है।उन्हें आगे की उनकी परियोजना को ढ़ेर सारी शुभकामनाये।
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