INS Vindhyagiri: भारतीय नौसेना को मिलेगा नया जंगी जहाज ‘विंध्यागिरी’, जानें क्या है ताकत और किन मायनों में है खास।
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INS Vindhyagiri: प्रोजेक्ट 17ए कार्यक्रम के तहत इस जंगी जहाज को तैयार किया गया है, ये इस प्रोजेक्ट का छठा युद्धपोत है , इन सभी जंगी जहाजों को भारत में ही तैयार किया गया है।
INS Vindhyagiri: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज (17 अगस्त) कोलकाता में युद्धपोत ‘विंध्यागिरि’ को लॉन्च करेंगी , विंध्यागिरी, भारत के प्रोजेक्ट 17ए का छठा जहाज है , जो नौसेना की ताकत को और ज्यादा बढ़ाने का काम करेगा , इन खास जंगी जहाजों को भारत में ही तैयार किया गया है , INS विंध्यागिरी अपनी क्लास का तीसरा वॉरशिप है, इसे कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड ने तैयार किया है , इस जहाज का नाम कर्नाटक की पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा गया है।
नई टेक्नोलॉजी वाला विंध्यागिरि
ये युद्धपोत प्रोजेक्ट 17 क्लास फ्रिगेट्स (शिवालिक क्लास) के फॉलो-ऑन हैं, जिनमें बेहतर स्टील्थ फीचर्स, उन्नत हथियार और सेंसर और प्लेटफॉर्म प्रबंधन सिस्टम हैं , करीब 31 सालों तक पुराने आईएनएस विंध्यागिरि ने भारतीय नौसेना को अपनी सेवा दी और इस दौरान तमाम चुनौती भरे अभियानों और विदेशी अभ्यासों को भी देखा , जिसके बाद अब नई टेक्नोलॉजी के साथ नया विंध्यागिरि नौसेना के बेड़े में शामिल हो रहा है।
विंध्यागिरि की खास बातें
INS विंध्यागिरी स्वदेशी प्रोजेक्ट 17-A फ्रिगेट का छठा युद्धपोत है
समुद्र की लहरों पर 28 नॉट्स यानी करीब 52 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है।
ये अपने साथ 6 हजार 670 टन असलहा और दूसरे सामान लेकर जा सकता है
INS विंध्यागिरी बराक-8 मिसाइल लॉन्च करने में सक्षम है।
युद्धपोत से हिंदुस्तान की घातक मिसाइल ब्रह्मोस को भी लॉन्च किया जा सकता है
INS विंध्यागिरी अत्याधुनिक रडार सिस्टम और एंटी सब मरीन वेपन सिस्टम से लैस है।
150 मीटर लंबा और 37 मीटर ऊंचा ये जंगी जहाज समंदर में दुश्मनों के होश उड़ाने वाला का सबसे ताकतवर प्रहरी है।
प्रोजेक्ट 17ए के तहत तैयार हो रहे युद्धपोत
प्रोजेक्ट 17ए कार्यक्रम के तहत मेसर्स एमडीएल कुल चार जहाज तैयार कर रहा है और मेसर्स जीआरएसई तीन और जहाज बना रहा है , इस प्रोजक्ट के पहले पांच जहाज 2019-2022 के बीच एमडीएल और जीआरएसई ने लॉन्च किए हैं, जिसके बाद छठे जंगी जहाज विंध्यागिरि की लॉन्चिंग की जा रही है , इसके तमाम उपकरणों और टेक्नोलॉजी के लिए 75 फीसदी ऑर्डर लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) समेत तमाम विदेशी फर्मों से लिए गए , जिससे रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता हासिल करने की भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता की झलक नजर आती है।
चीन और पाकिस्तान के मोर्चे पर बढ़ी ताकत
हजारों करोड़ खर्च करने के बाद तैयार हुआ ये युद्ध-पोत देश की सीमा को और सुरक्षित रखने के लिए बना हुआ है, ये जंगी जहाज नौसेना की ताकत को कई गुना बढ़ाएगा , चीन और उसके सरपरस्त पाकिस्तान के नापाक मंसूबों के चलते ये जहाज समुद्र में नौसेना के लिए काफी अहम है , क्योंकि ये युद्ध में दुश्मन की हर चाल को मात देने में माहिर है , अचूक निशानेबाजी और तेज रफ्तार के लिहाज से ये दुश्मनों का खात्मा करने का दम रखता है।
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