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    May 2, 2025

    750 KM रेंज वाली मिसाइल से लैस है INS अरिघात, हिंद महासागर में लगेगी चीन की वाट!

    1 min read
    😊

    भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी, आईएनएस अरिघात गुरुवार को भारतीय नौसेना में कमीशन किया जाएगा. यह पनडुब्बी 750 किलोमीटर रेंज वाली परमाणु मिसाइलों से लैस है.

    भारतीय नौसेना के बेड़े में आज आईएनएस अरिघात की एंट्री होने जा रही है. INS अरिघात भारत की दूसरी न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन है. यह स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियों की अरिहंत क्लास की दूसरी पनडुब्बी है. परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पहली स्वदेशी पनडुब्बी INS अरिहंत है जिसे 2009 में नौसेना में शामिल किया गया था. भारत दो अतिरिक्त न्यूक्लियर-पावर्ड पनडुब्बियां बनाने के प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम कर रहा है. भारतीय नौसेना को मजबूत करने की यह जल्दबाजी इसलिए है क्योंकि हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीन की नौसेना लगातार अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है.

    आईएनएस अरिघात को विजाग शिपयार्ड में बनाया गया है. यह 750 किलोमीटर रेंज वाली K-15 मिसाइलों से लैस है. यह 3,500 किलोमीटर से ज्यादा रेंज वाली चार परमाणु-सक्षम K-4 SLBM (पनडुब्बी से दागी गई बैलिस्टिक मिसाइल) भी कैरी कर सकती है.

    INS अरिघात की खासियत
    1.विजाग शिपयार्ड में बनी 6,000 टन की पनडुब्बी आईएनएस अरिघात कई ट्रायल्स और अपग्रेड के बाद कमीशन की जा रही है.
    2.आईएनएस अरिघात का डिस्प्लेसमेंट 6,000 टन है. इस पनडुब्बी की लंबाई 111.6 मीटर है और इसका बीम 11 मीटर का है.
    3.यह भारत के ‘एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल’ या ATV प्रोजेक्ट का हिस्सा है. INS अरिघात का कोडनेम S3 है.
    4.INS अरिघात में सात ब्लेड वाला प्रोपेलर लगा है जो एक प्रेशराइज्ड वाटर रिएक्टर से चलता है. पानी के नीचे इस पनडुब्बी की अधिकतम रफ्तार 24 नॉट्स (44 किलोमीटर प्रति घंटा) है.
    5.आईएनएस अरिघात को परमाणु मिसाइलों से लैस किया गया है. INS अरिहंत की तरह, INS अरिघात भी K-15 मिसाइलों से लैस होगी जिनकी रेंज 750 किलोमीटर है. इस पनडुब्बी पर मध्‍यम रेंज वाली K-4 बैलिस्टिक मिसाइलें भी तैनात की जा सकती हैं जिनकी रेंज 3,500 किलोमीटर तक है.

    नौसेना को मजबूत बनाने का प्लान
    भारत की तीसरी SSBN (नौसेना की भाषा में परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस न्यूक्लियर-प्रोपेल्ड सबमरीन) INS अरिधमान होगी. यह 3,500 किलोमीटर रेंज वाली K-4 मिसाइलों से लैस होगी और अगले साल तक नौसेना में शामिल की जा सकती है. चौथी SSBN का निर्माण भी जारी है और उसमें अतिरिक्त K-4 मिसाइलों को रखने की क्षमता होगी.

    दो न्यूक्लियर-पावर्ड अटैक सबमरीन (SSNs) बनाने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट समिति की मंजूरी की राह देख रहा है. ये पनडुब्बियां 95% तक स्वदेशी होंगी और इन्हें बनाने में कम से कम 10 साल लगेंगे.

    भारत vs चीन
    चीन और पाकिस्तान की दोहरी चुनौती से निपटने के लिए भारत 18 डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन, चार SSBNs और छह SSNs चाहता है. भारत के पास अभी एक ही SSBN है, INS अरिहंत जो 83 मेगावॉट के रिएक्टर का इस्तेमाल करती है. भारतीय नौसेना के पास 16 डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां हैं जिसमें छह पुरानी रूसी पनडुब्बियां, चार जर्मन पनडुब्बियां और छह नई फ्रांसीसी स्कॉर्पीन पनडुब्बियां शामिल हैं.

    भारत की तुलना में चीन के पास लगभग 60 पनडुब्बियां हैं. इनमें जिन-क्लास की छह पनडुब्बियां भी शामिल हैं जो 10,000 किलोमीटर रेंज वाली JL-3 मिसाइलों से लैस हैं. चीनी नौसेना के पास छह SSNs हैं.

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