अमेरिका के लिए मिसाल बना भारतीय सौर उद्योग: सांसदों की मांग- विश्व बैंक जलवायु परियोजनाओं में बढ़ाए निवेश।
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सांसदों ने कहा कि यह जरूरी है कि विश्व बैंक उन परियोजनाओं में निवेश बढ़ाए जो जलवायु लक्ष्यों को आगे बढ़ाती हैं। इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बैंक किन परियोजनाओं को वित्त पोषित करता है, इस पर उसे स्पष्ट और पारदर्शी आंकड़े प्रदान करने चाहिए।
अमेरिका के लिए भारतीय सौर ऊर्जा उद्योग एक मिसाल बन गया है। भारत की सफलता का हवाला देते हुए शीर्ष अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा से जलवायु परियोजनाओं में निवेश बढ़ाने का आग्रह किया है। सांसदों ने बुधवार को बंगा को लिखे एक पत्र में कहा कि हमें यह देखकर खुशी हो रही है कि आप समस्याओं से रूबरू हैं और आशा करते हैं कि बैंक इन चुनौतियों से निपटने के लिए समन्वित और मजबूत प्रतिक्रिया देगा। बता दें, पत्र पर सांसद मार्टिन हेनरिक, ब्रायन शेट्ज, पीटर वेल्च, शेल्डन व्हाइटहाउस और एडवर्ड मार्की के साथ-साथ कांग्रेसी केटी पोर्टर ने हस्ताक्षर किए हैं।
पत्र में कहा गया कि यह जरूरी है कि विश्व बैंक उन परियोजनाओं में निवेश बढ़ाए जो जलवायु अनुकूलन और शमन लक्ष्यों को आगे बढ़ाती हैं। इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बैंक किन परियोजनाओं को वित्त पोषित करता है, इस पर स्पष्ट और पारदर्शी आंकड़े प्रदान करे। पत्र में आगे लिखा है कि जलवायु प्रयासों की पहुंच का विस्तार करने के लिए निजी संसाधनों का कुशलतापूर्वक लाभ उठाएं।
सांसदों ने बंगा से ऋण देने के निर्णयों को निर्देशित करने और प्राथमिकता देने के लिए नई देश जलवायु और विकास रिपोर्ट का लाभ उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हम बैंक को हाल के वर्षों में सफल जलवायु परियोजनाओं जैसे भारतीय सौर उद्योग के विस्तार, उरुग्वे में जलवायु-स्मार्ट कृषि के विकास और केन्या के कुछ हिस्सों में विद्युतीकरण के विस्तार के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
उन्होंने कहा कि बढ़ी हुई जलवायु निवेश के साथ बैंक इस काम का विस्तार कर सकता है। विश्व स्तर पर नेतृत्व प्रदान कर सकता है। सांसदों ने आगे कहा कि इन प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए आईएमएफ का उदाहरण लिया जा सकता है।
सांसदों ने कहा कि सबसे धनी राष्ट्र अधिकांश वायुमंडलीय कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। समाधान के लिए गरीब देशों पर ऋण का बोझ डालने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि बैंक को सबसे अनुकूल संभावित शर्तों पर ऋण देने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए और ऋण के बजाय अनुदान पर जितना संभव हो उतना भरोसा करना चाहिए।
सांसदों ने विश्व बैंक से यह भी आग्रह किया कि वह स्पष्ट करें कि जलवायु वित्त और जलवायु कार्रवाई के लिए क्या कदम उठाना सही रहेगा। साथ ही कहा है कि बैंक को इस बारे में पारदर्शी होना चाहिए कि वह जलवायु से संबंधित परियोजनाओं को कैसे चुनता है। उन्होंने कहा कि इन पद्धतियों की पहचान करने से इस तेजी से बढ़ते निवेश क्षेत्र में बैंक अग्रणी बन जाएगा।
उन्होंने कहा कि विश्व बैंक जलवायु वित्तपोषण बढ़ा रहा है तो उसे जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं में निवेश बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि साल 2015 में पेरिस जलवायु समझौते को अपनाने के बाद से जीवाश्म ईंधन निवेश अभी भी 14.8 अरब डॉलर से अधिक है। उन्होंने कहा कि भले ही इनकी राशि में कमी आ रही है, लेकिन फिर भी इस कुल राशि को शून्य पर लाने के लिए सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।
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