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    May 10, 2025

    Indian Railways: ट्रेन में मह‍िला का बैग चोरी, अदालत ने रेलवे को द‍िया 1 लाख रुपये देने का आदेश; क्‍या है न‍ियम?

    1 min read
    😊

    शिकायत में कहा गया था रेलवे की जिम्मेदारी है कि यात्रियों को सुरक्षित और आरामदायक सफर के साथ-साथ उनके सामान की सुरक्षा भी सुन‍िश्‍चत करें. श‍िकायत दर्ज कराने के बाद भी पीड़‍ित मह‍िला का सामान वापस नहीं मिला.

    ट्रेन में मह‍िला का सामान चोरी होने के बाद कंज्‍यूमर फोरम ने रेलवे को 1.08 लाख रुपये का भुगतान करने के ल‍िए कहा है. द‍िल्‍ली की एक कंज्‍यूमर फोरम की तरफ से भारतीय रेलवे को ‘लापरवाही और सेवा में कमी’ के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. इसके साथ ही महिला को 1.08 लाख रुपये देने का आदेश जारी क‍िया है. द‍िल्‍ली की रहने वाली जया कुमारी मालवा एक्सप्रेस के र‍िजवर्ड कोच से सफर कर रही थी. इस दौरान उसका सामान चोरी हो गया. मामले की सुनवाई जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (केंद्रीय जिला) के चेयरमैन इंदरजीत सिंह और सदस्य रश्मि बंसल ने की थी.

    जनवरी 2016 में द‍िल्‍ली से इंदौर जाते हुए हुई घटना
    शिकायतकर्ता मह‍िला जया कुमारी का पक्ष अध‍िवक्‍ता प्रशांत प्रकाश की तरफ से पेश क‍िया गया था. जया के अनुसार जनवरी 2016 में मालवा एक्सप्रेस में झांसी और ग्वालियर के बीच उनके कोच में मौजूद कुछ ऐसे लोगों ने उनका बैग चुरा लिया जिनके पास र‍िजर्वेशन नहीं था. उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी उन्‍होंने तुरंत TTE को दी थी. इसके साथ ही रेलवे प्रशासन को इस घटना के बारे में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई थी. लेकिन उनकी श‍िकायत पर क‍िसी प्रकार की सुनवाई नहीं हुई.

    ‘पूरे मामले में सुनवाई करने का रेलवे का अधिकार था’
    शिकायत में कहा गया था रेलवे की जिम्मेदारी है कि यात्रियों को सुरक्षित और आरामदायक सफर के साथ-साथ उनके सामान की सुरक्षा भी सुन‍िश्‍चत करें. श‍िकायत दर्ज कराने के बाद भी पीड़‍ित मह‍िला का सामान वापस नहीं मिला. सुनवाई के बाद कंज्‍यूमर फोरम का कहना था कि चूंकि शिकायतकर्ता ने दिल्ली से ट्रेन पकड़ी थी और उसे इंदौर जाना था. इसल‍िए इस पूरे मामले में सुनवाई करने का रेलवे का अधिकार था. आयोग के अधिकार क्षेत्र में ही ‘विपक्षी पक्ष’ का ऑफ‍िस स्थित था.

    रेलवे के तर्क को कंज्‍यूमर फोरम ने खार‍िज क‍िया
    फोरम ने सुनवाई के दौरान रेलवे का यह तर्क खारिज कर दिया कि जया कुमारी ने अपने सामान को रखने में लापरवाही बरती या उनका सामान बुक नहीं कराया गया था. आयोग ने महिला की इस बात को माना कि उन्हें एफआईआर दर्ज कराने के ल‍िए जगह-जगह भटकना पड़ा. आयोग ने कहा, ‘सामान चोरी होने के बाद एफआईआर दर्ज कराने के ल‍िए महिला को अधिकारियों के पास चक्‍कर लगाने में क‍ितना परेशान होना पड़ा, इससे यह साफ है क‍ि पीड़‍िता को अपने कानूनी अधिकारों के लिए परेशानी और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा.’

    कुल 1 लाख 8 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश
    कंज्‍यूमर फोरम ने माना कि रेलवे की लापरवाही और सर्व‍िस में कमी के कारण सामान चोरी हुआ है. महिला ने रिजर्व टिकट लेकर यात्रा की थी, फिर भी उसका सामान चोरी हो गया. आयोग ने कहा, ‘अगर रेलवे या उसके कर्मचारियों की तरफ से कोई लापरवाही या सेवा में कमी नहीं होती, तो शायद ये चोरी नहीं होती…’ इसीलिए, आयोग ने माना कि महिला के 80,000 रुपये के नुकसान की भरपाई होनी चाह‍िए. इस पूरे मामले में आयोग ने मह‍िला को परेशानी के लिए 20,000 रुपये और 8,000 रुपये का खर्च देने का भी आदेश दिया है.

    ट्रेन से सामान चोरी होने पर क्‍या है न‍ियम?
    आरक्ष‍ित कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों के सामान की सुरक्षा की ज‍िम्‍मेदारी रेलवे की है. यात्रियों को अपना सामान अपने पास रखना चाहिए और कीमती सामान को अपने साथ ले जाना चाहिए. रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की तरफ से ट्रेनों में सुरक्षा प्रदान की जाती है. यदि क‍िसी यात्री का सामान चोरी हो जाता है तो उसे इसके बारे में तुरंत रेलवे कर्मचारी (जैसे टीटीई, आरपीएफ अधिकारी) को जानकारी देनी चाह‍िए. रेलवे कर्मचारी यात्री की रिपोर्ट दर्ज करने में मदद करेगा. यात्री की एफआईआर के आधार पर रेलवे प्रशासन और आरपीएफ जांच करता है. कुछ मामलों में यात्री को मुआवजा भी म‍िल सकता है.

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