Indian Companies: भारत सरकार ने भारतीय कंपनियों को सीधे विदेशी शेयर बाजारों में लिस्ट होने की मंजूरी दी।
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Indian Companies Listing: भारतीय कंपनियों को विदेशी शेयर बाजारों में डायरेक्ट रूप से लिस्ट कराने के नियमों को अभी नोटिफाई किया जाना बाकी है लेकिन इससे संबंधित कानून की धारा को नोटिफाई कर दिया है।
Indian Companies Listing: भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम के तहत भारतीय कंपनियों को कुछ शर्तों के साथ विदेशी शेयर बाजारों में सूचीबद्ध यानी लिस्ट होने की अनुमति दे दी है , कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने इस संबंध में कंपनी कानून के तहत संबंधित धारा को नोटिफाई कर दिया है , वर्तमान में स्थानीय कंपनियां विदेशों में अमेरिकी डिपॉजिटरी रिसीट (एडीआर) और ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट (जीडीआर) के जरिए लिस्ट की जाती रही हैं।
धारा को सरकार ने किया नोटिफाई
मंत्रालय की ओर से 30 अक्टूबर को जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, “कंपनी (संशोधन) अधिनियम 2020 (2020 का 29) की धारा एक की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार उसके द्वारा अक्टूबर 2023 के 30वें दिन को उस तारीख के रूप में निर्धारित करती है जिस दिन से उक्त अधिनियम की धारा पांच के प्रावधान लागू होंगे।
नियमों को अभी नोटिफाई किया जाना बाकी
भारतीय कंपनियों को विदेशी शेयर बाजारों में डायरेक्ट रूप से लिस्ट कराने के नियमों को अभी नोटिफाई किया जाना बाकी है , धारा पांच सार्वजनिक कंपनियों के कुछ वर्गों को अनुमत शेयर बाजार में विदेशी न्यायक्षेत्रों या ऐसे अन्य न्यायक्षेत्रों के तहत अपनी प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करने की अनुमति देता है , सूत्रों ने कहा कि भारत में किसी कंपनी के संचालन की अपेक्षित न्यूनतम अवधि उन मानदंडों में से एक हो सकती है जिस पर सरकार विचार कर सकती है।
गौरतलब है कि 13 अक्टूबर को एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने कहा था कि मंत्रालय कंपनियों को प्रत्यक्ष तौर पर विदेशी शेयर बाजरों में सूचीबद्ध कराने के लिए नियम तैयार करने के लिए संभावित पात्रता मानदंड सहित विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रहा है , योजना शुरुआत में गिफ्ट सिटी के अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफसीएस) के माध्यम से विदेशी लिस्टिंग शुरू करने की है, इसके बाद व्यापक प्रत्यक्ष लिस्टिंग होगी।
आगे के लिए ये है योजना
सूत्रों के मुताबिक हालिया नोटिफिकेशन केवल सार्वजनिक कंपनियों के बारे में बात करती है, लेकिन सरकार निजी कंपनियों को गैर-सूचीबद्ध करने के लिए इस तरह की सीधी लिस्टिंग की अनुमति देने पर भी विचार कर सकती है।
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