वैश्विक एआई मानकों का नेतृत्व करेगा भारत, BIS निभाएगा अहम भूमिका।
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BIS के महानिदेशक प्रमोद तिवारी ने बताया कि एआई से जुड़े मानकों के निर्माण के लिए विभिन्न मंत्रालयों, शैक्षणिक संस्थानों, नियामक एजेंसियों और उपभोक्ता संगठनों के साथ साझेदारी को मज़बूत किया गया है.
राजधानी दिल्ली में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की मेज़बानी में अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) और अंतरराष्ट्रीय विद्युत तकनीकी आयोग (IEC) की तकनीकी समिति की 15वीं पूर्ण बैठक की शुरुआत हुई. यह बैठक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़े वैश्विक मानकों के विकास को लेकर हो रही है. इसमें 70 देशों के 350 से ज्यादा विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं.
उद्घाटन सत्र में उपभोक्ता मामलों विभाग की सचिव निधि खरे ने कहा कि भारत अब वैश्विक एआई मानकों के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाने को तैयार है. उन्होंने कहा कि सरकार एआई तकनीक, विशेषकर लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) और स्मॉल लैंग्वेज मॉडल (SLM) को जिम्मेदारी के साथ विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए वैश्विक सहयोग के साथ-साथ राष्ट्रीय प्राथमिकताओं का भी ध्यान रखा जाएगा.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन ने कहा कि भारत ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन एआई (GPAI) का संस्थापक सदस्य है और लगातार वैश्विक भागीदारों के साथ मिलकर ‘AI for good and for all’ के सिद्धांत पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि एआई के काम करने के तरीके को लोकतांत्रिक और विकेंद्रीकृत करने की ज़रूरत है और इसके लिए मानक तय करना बेहद ज़रूरी है.
BIS के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने बताया कि एआई से जुड़े मानकों के निर्माण के लिए विभिन्न मंत्रालयों, शैक्षणिक संस्थानों, नियामक एजेंसियों और उपभोक्ता संगठनों के साथ साझेदारी को मज़बूत किया गया है. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि सितंबर 2025 में IEC की जनरल मीटिंग भारत में आयोजित की जाएगी, जिसमें 45 से अधिक तकनीकी समितियों की बैठकें, कार्यशालाएं और प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी.
बैठक के दौरान एआई की बदलती तकनीकी दुनिया के कई अहम पहलुओं पर चर्चा हुई, जिनमें शामिल रहे – बुनियादी मानक, डेटा गवर्नेंस, भरोसेमंद एआई, कंप्यूटेशनल दृष्टिकोण और अलग-अलग क्षेत्रों में एआई का इस्तेमाल. भारत ‘एआई सिस्टम की मजबूती के आकलन’ (Resilience Assessment) को लेकर वैश्विक मानक तय करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है.
तकनीकी समिति के अध्यक्ष वाएल विलियम दिआब ने बताया कि अब तक एआई पर 35 अंतरराष्ट्रीय मानक प्रकाशित हो चुके हैं और 47 मानक अभी निर्माणाधीन हैं. बैठक के साथ-साथ BIS द्वारा ‘LLM और जेनरेटिव एआई के दौर में तकनीक में भरोसे को मजबूत करना’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला भी आयोजित की गई. इसमें MeitY के अतिरिक्त सचिव और इंडियाAI मिशन के प्रमुख अभिषेक सिंह ने कहा कि निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही के आधार पर ही एआई में भरोसा कायम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारत जैसे भाषाई विविधता वाले देश में वॉयस और इमेज डेटा के लिए भी मानकों की ज़रूरत है.
उपभोक्ता मामलों विभाग के अतिरिक्त सचिव भरत खेरा ने कहा कि एआई की पूरी क्षमता का लाभ लेने के लिए ऐसे मजबूत, समावेशी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानकों की ज़रूरत है जो विश्वास, निष्पक्षता, सुरक्षा और पहुंच को सुनिश्चित करें. उन्होंने बताया कि एआई आधारित नेशनल कंज़्यूमर हेल्पलाइन (NCH) ने शिकायत निवारण प्रणाली को अधिक तेज़ और प्रभावी बनाया है.
इस बैठक और कार्यशालाओं के ज़रिए यह संदेश स्पष्ट हो गया कि भारत वैश्विक एआई गवर्नेंस की दिशा तय करने में एक अहम भूमिका निभा रहा है. BIS भारत की ओर से ISO और IEC जैसी अंतरराष्ट्रीय मानक संस्थाओं में प्रतिनिधित्व करता है, जिनके द्वारा बनाए गए मानक वैश्विक व्यापार, सिस्टम की विश्वसनीयता और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को पाने में मदद करते हैं.
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