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    April 23, 2025

    भारत ने इस पड़ोसी को अंग्रेजों से दिलाई ‘संपूर्ण आजादी’, 50 फीसदी हिंदुओं से है आबाद।

    1 min read
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    Chagos Islands का विवाद सुलझाने में भारत ने खामोशी के साथ लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसमें यूके और अमेरिका के साथ बातचीत हुई और आखिरकार पड़ोसी मॉरीशस के पक्ष में बात बनी. अब इस देश को असल मायने में संपूर्ण आजादी मिलने जा रही है. यहां से यूके और अमेरिकी फौज को भी जाना होगा.

    एक समय कहा जाता था कि बरतानिया हुकूमत का सूरज कभी अस्त नहीं होता. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वर्ल्ड ऑर्डर बदल गया. अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा. हालांकि भारत से थोड़ी दूरी पर कुछ भूभाग ऐसा है, जो आज भी ब्रिटेन के कब्जे में है. जी हां, वो क्षेत्र है चागोस द्वीप समूह. इसमें हिंद महासागर का डिएगो गार्सिया भी शामिल है, जहां अमेरिका और यूके की सेनाओं ने अपना सैन्य अड्डा बना रखा है. मॉरीशस इसे अपना बताता रहा है. कुछ घंटे पहले ‘पिलास’ की तरह दिखने वाले इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को लेकर ऐतिहासिक समझौता हुआ है. ब्रिटेन ने डिएगो गार्सिया सहित चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने की घोषणा कर दी है. कम लोगों को पता होगा मॉरीशस को ‘संपूर्ण आजादी’ दिलाने में भारत की बड़ी भूमिका रही.

    एक सवाल आपके मन में उठ सकता है कि अचानक ऐसा कैसे हुआ. इसकी मांग काफी समय से की जा रही थी. भारत को आजादी मिलने के करीब 21 साल बाद मॉरीशस को ब्रिटेन से आजादी मिली थी. हालांकि ब्रिटेन ने चागोस द्वीप समूह को नहीं छोड़ा. अगले कुछ सालों में अंग्रेजों ने वहां के स्थानीय लोगों को भी भगा दिया. बाद में अमेरिका से डील कर ली. मामला अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में गया और मॉरीशस के पक्ष में फैसला आया. अब जाकर ब्रिटेन इलाका छोड़ने को राजी हुआ है.

    इस देश में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के हिंदू समुदाय के लोग रहते हैं. बताते हैं कि करीब 70 फीसदी भारतीय मूल के लोग यहां रहते हैं.

    भारत की भूमिका
    हां, मॉरिशस को चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता का ऐतिहासिक हस्तांतरण दिलाने में भारत ने चुपचाप बड़ी भूमिका निभाई. भारत ने यूके से बातचीत के दौरान उपनिवेशवाद के ‘अंतिम अवशेषों’ को खत्म करने की जरूरत को पूरी दृढ़ता से रखा था. ब्रिटेन और मॉरीशस की तरफ से जो संयुक्त बयान जारी हुआ है, उसमें भी नई दिल्ली की भूमिका को स्वीकार किया गया है.

    बयान में जिक्र किया गया है, ‘आज के राजनीतिक समझौते पर पहुंचने में, हमें अपने करीबी सहयोगियों अमेरिका और भारत का पूरा समर्थन और सहायता प्राप्त हुआ.’ भारत ने स्पष्ट रूप से मॉरीशस का समर्थन किया था. संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘अंतिम परिणाम सभी पक्षों की जीत है और यह हिंद महासागर क्षेत्र में दीर्घकालिक सुरक्षा को मजबूत करेगा.’

    दो साल की बातचीत के बाद लंबे समय से चला आ रहा चागोस विवाद सुलझ गया है. भारत ने चागोस पर संप्रभुता के लिए मॉरीशस के दावे का लगातार समर्थन किया है, जो इस पड़ोसी देश के साथ घनिष्ठ साझेदारी को भी दिखाता है.

    ब्रिटेन ने कहा कि मॉरीशस के साथ किया गया समझौता वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य और हिंद महासागर, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए खतरों को टालने की ब्रिटेन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

    यहीं पर हैं अमेरिका का वो अड्डा
    डिएगो गार्सिया अमेरिका का प्रमुख सैन्य अड्डा है क्योंकि यहां उसके युद्धपोत और लंबी दूरी तक हमला करने वाले बमवर्षक विमान मौजूद हैं. भारत सरकार के सूत्रों ने भी बताया कि ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच हुए इस समझौते में नयी दिल्ली ने पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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