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    April 21, 2025

    India Economy: चीन की 4.5 फीसदी वृद्धि से आगे निकली भारतीय अर्थव्यवस्था, विश्व में आकर्षक स्थान बनकर उभरा भारत |

    1 min read
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    मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन का कहना है कि भारत ठोस आर्थिक प्रदर्शन के एक और वर्ष की ओर देख सकता है। अनुमानित 6.5 फीसदी जीडीपी समान रूप से संतुलित है व चालू वित्त वर्ष में ज्यादा वृद्धि की संभावना है।
    यूरोप और पश्चिमी देशों में मंदी के बावजूद भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए आकर्षक स्थान बनकर उभरा है। साथ ही, भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। पहली तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था में जहां 4.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.1 फीसदी रही।
    यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश जर्मनी पिछले दिनों मंदी में फंस चुका है। यहां पर महंगाई भी बेतहाशा बढ़ी है। अमेरिका पर पहली बार डिफॉल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। वर्ल्ड बैंक और अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक कोष जैसी संस्थाओं का कहना है कि भारत में मंदी आने की संभावना न के बराबर है।

    मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन का कहना है कि भारत ठोस आर्थिक प्रदर्शन के एक और वर्ष की ओर देख सकता है। अनुमानित 6.5 फीसदी जीडीपी समान रूप से संतुलित है व चालू वित्त वर्ष में ज्यादा वृद्धि की संभावना है। हम व्यापक आर्थिक, वित्तीय व राजकोषीय स्थिरता के साथ निरंतर आर्थिक गति की गाथा पेश कर सकते हैं।

    खनन और सेवा क्षेत्र में दर्ज की गई वृद्धि
    चौथी तिमाही में खनन क्षेत्र में जीवीए वृद्धि दर 4.3 फीसदी रही है जो एक साल पहले 2.3 फीसदी थी। निर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर 10.4 फीसदी रही जो एक साल पहले 4.9 फीसदी थी। कृषि में यह 4.1 फीसदी से बढ़कर 5.5 फीसदी पर पहुंच गई। इलेक्ट्रिसिटी, गैस और पानी आपूर्ति के साथ अन्य रोजाना उपयोगी सेवाओं में वृद्धि दर 6.9 फीसदी रही। एक साल पहले यह 6.7 फीसदी रही थी।
    ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार और इससे संबंधित प्रसारण सेवाओं की वृद्धि 9.1 फीसदी रही जो एक साल पहले पांच फीसदी पर थी। वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में विकास दर 5.7 फीसदी से बढ़कर 7.1 फीसदी रही।
    नॉमिनल जीडीपी में 16.1 फीसदी वृद्धि
    वर्ष 2022-23 में नॉमिनल जीडीपी के 272.41 लाख करोड़ के स्तर पा सकता है। 2021-22 में यह 234.71 लाख करोड़ रुपये थी, जो कि 16.1 फीसदी की वृद्धि दर को दिखाता है।

    चौथी तिमाही में (2011-12) कीमतों के लिहाज से जीडीपी 43.62 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है। 2021-22 की चौथी तिमाही में यह 41.12 लाख करोड़ था, जो 6.1 फीसदी की वृद्धि है। वर्तमान मूल्य पर चौथी तिमाही में जीडीपी का अनुमान 71.82 लाख करोड़ है जो 2021-22 की चौथी तिमाही में 65.05 लाख करोड़ था। इसमें 10.4 फीसदी की वृद्धि है।
    जीडीपी की तुलना में राजकोषीय घाटा 6.4 फीसदी रहा। 2021-22 में 6.71 फीसदी था।
    जीवीए वृद्धि 7 फीसदी
    2022-23 की मार्च तिमाही में ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) की वृद्धि दर सात फीसदी रही है जो एक साल पहले 8.8 फीसदी थी। इनपुट लागत और कच्ची सामग्री का दाम निकालने के बाद जितने रुपये के सामान और सेवा का उत्पादन होता है, उसे जीवीए कहते हैं।

    कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पादों और इलेक्ट्रिसिटी के उत्पादन में कमी से 8 प्रमुख बुनियादी क्षेत्रों की उत्पादन वृद्धि अप्रैल में 6 माह के निचले स्तर 3.5 फीसदी पर पहुंच गई।
    वर्ष 2022-23 में वास्तविक जीडीपी (2011-12) के 160.06 लाख करोड़ के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। 2021-22 के लिए जीडीपी का पहले संशोधित अनुमान 149.26 लाख करोड़ था।

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