India Economy: CEA ने कहा- देश में यूनिवर्सल सामाजिक सुरक्षा योजना की जरूरत नहीं, रोजगार व आय बढ़ाने पर हो जोर।
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भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कार्यक्रम में शुक्रवार को सीईए से पूछा गया कि देश में बढ़ती बेरोजगारी व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के रोजगार पर बढ़ते खतरे को देखते हुए क्या यूनिवर्सल सामाजिक सुरक्षा योजना उपलब्ध कराने का समय आ गया है? इस पर उन्होंने कहा, अगले कुछ साल तक यह भारत के एजेंडे में नहीं होना चाहिए।
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वर ने कहा, भारत के लिए यूनिवर्सल सामाजिक सुरक्षा योजना की जरूरत नहीं है। इसकी जगह आर्थिक विकास के जरिये रोजगार सृजन व लोगों की आय बढ़ाने का प्रयास होना चाहिए।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कार्यक्रम में शुक्रवार को सीईए से पूछा गया कि देश में बढ़ती बेरोजगारी व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के रोजगार पर बढ़ते खतरे को देखते हुए क्या यूनिवर्सल सामाजिक सुरक्षा योजना उपलब्ध कराने का समय आ गया है? इस पर उन्होंने कहा, अगले कुछ साल तक यह भारत के एजेंडे में नहीं होना चाहिए। भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था के लिए यह कॉन्सेप्ट ठीक नहीं होगा।
उन्होंने कहा, भारत अभी उस अवस्था में नहीं है कि लोगों को यह सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए। विकसित देशों के पास रोजगार बढ़ाने के सीमित साधन हैं, इसलिए वहां की सरकारों को इसकी जरूरत पड़ती है। लेकिन, हमारा देश आर्थिक विकास के जरिये लोगों की आकांक्षाएं पूरी करने की क्षमता रखता है।
भारतीय होना अब अमेरिका में भी कूल
सीईए ने एक व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा, सिंगापुर में पैदा हुआ उनका बेटा वर्तमान में अमेरिका में पढ़ता है। एक बार उसने कहा कि आजकल भारतीय होना अमेरिका में भी काफी कूल माना जाता है। मोदीजी ने भारतीय होने को काफी कूल बना दिया है।
मंदी को मात देगा 140 करोड़ आबादी का घरेलू बाजार
सीईए ने कहा, भारत पर मंदी का प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि हमारे पास 140 करोड़ उपभोक्ता वाला विशाल बाजार है। अपनी घरेलू जरूरतों के दम पर यहां के उद्योग उबर जाएंगे। निर्यात पर कुछ असर पड़ेगा, लेकिन दीर्घकालिक नहीं होगा।
नागेश्वरन ने कहा, विदेशी मुद्रा भंडार अगले 10 महीने के लिए पर्याप्त है। होटल उद्योग आज 4.5 करोड़ लोगों को रोजगार दे रहा है। बढ़ती अर्थव्यवस्था का ही नतीजा है कि कारपोरेट टैक्स और इनकम टैक्स बढ़ गया है।
यूपी सही दिशा में
10 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की तरफ उत्तर प्रदेश सही दिशा में जा रहा है क्योंकि किसी भी राज्य की तरक्की के संकेत वहां के बुनियादी ढांचे, निवेश, नई इकाइयां, स्टार्टअप और नए शिक्षण संस्थान होते हैं। यूपी में ये सब हो रहा है।
लंबी अवधि में तेज रहेगी जीडीपी की वृद्धि दर
सीईए ने कहा, पिछले 30 साल में अर्थव्यवस्था जब भी 3-4 वर्षों के लिए बहुत मजबूती से बढ़ी, इसे बढ़ी महंगाई, आयात में वृद्धि और महंगी मुद्रा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। लेकिन, पिछले आठ वर्षों की मजबूत सरकारी नीतियों से जीडीपी के लिए लंबे समय तक तेज विकास करना संभव है। यह सिर्फ तीन या पांच या सात साल के लिए नहीं होगी, बल्कि चीन की तरह 10 या 15 वर्ष के लिए होगी।
जीडीपी को शहरी मांग से अच्छा समर्थन पर ग्रामीण चिंता का विषय : एसबीआई
एसबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 6.4 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया है। साथ ही कहा, घरेलू अर्थव्यवस्था की वृद्धि को शहरी मांग से अच्छा समर्थन मिल रहा है, लेकिन ग्रामीण मांग अब भी चिंता का विषय बनी हुई है।
एसबीआई ने इकोरैप रिपोर्ट में कहा, 2023-24 के लिए आरबीआई के जीडीपी पूर्वानुमान में अप्रैल, 2023 से कुछ बदलाव आया है। केंद्रीय बैंक ने अप्रैल में 2023-24 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। लेकिन, बृहस्पतिवार को पेश अपनी ताजा मौद्रिक नीति में इसे थोड़ा बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया।
खुदरा महंगाई दर : गिरावट के संकेत
एसबीआई का दावा है कि 2023-24 में खुदरा महंगाई 5.1 फीसदी रह सकती है। यह आरबीआई के तय स्तर 4 फीसदी से अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा महंगाई दर में गिरावट के साथ अगले वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति में नरमी की उम्मीद स्पष्ट संकेत देती है कि कई चरणों में ब्याज दरों में वृद्धि की मदद से आरबीआई कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने में सक्षम होगा।
नीतिगत ब्याज दर में कई बार हुई बढ़ोतरी के कारण बेरोजगारी दर घट गई है। इससे पता चलता है कि केंद्रीय बैंक रोजगार में संकुचन के बिना बाजार में अतिरिक्त श्रम मांग को कम करने में सक्षम है।
देश का पेट भर रहा है उत्तर प्रदेश
सीआईआई के कार्यक्रम में यूपी के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा, अर्थव्यवस्था को चार गुना करने का लक्ष्य बड़ा है, लेकिन हम इसे संभव बनाएंगे। उन्होंने कहा, इन्वेस्टर समिट के हर जिले में टास्क फोर्स बनाया गया है। देश की पहली रैपिड रेल ट्रांसपोर्ट सिस्टम की शुरुआत जून में मेरठ से हो जाएगी। राज्य सरकार फूड बाउल के रूप में अपनी स्थिति का लाभ उठाएगी।
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