‘अगले 6 महीने में…’ ट्राई ने टेलीकॉम कंपनियों को दिए अहम निर्देश.
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दूरसंचार नियामक ने दूरसंचार कंपनियों को यह बदलाव करने के लिए 6 महीने का समय दिया है।
यदि आपके घर, सोसायटी या ऑफिस में लैंडलाइन फोन है तो यह आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण अपडेट है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा की है। इसका असर देश के लैंडलाइन धारकों पर पड़ेगा। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने दो दशक पुरानी राष्ट्रीय नंबरिंग प्रणाली को बदलने की सिफारिश की है। इस सिफारिश के लागू होने के बाद देश भर के लैंडलाइन नंबर बदल जाएंगे।
दूरसंचार नियामक ने इस संबंध में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। देश में मोबाइल फोन और उससे जुड़े उपकरणों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सभी को विश्वसनीय दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने के लिए नंबरिंग प्रणाली में बदलाव की जरूरत है।
दूरसंचार नियामक का बड़ा फैसला
दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने 2022 में फिक्स्ड लाइन नंबर और उसका टेलीकॉम कोड निर्धारित करने के निर्देश जारी किए थे। इसके बाद ट्राई की ओर से यह सिफारिश की गई है। दूरसंचार नियामक ने दूरसंचार ऑपरेटरों और विशेषज्ञों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर एक बड़ा निर्णय लिया है।
फिक्स्ड लाइन या लैंडलाइन के लिए नंबरिंग प्रणाली मोबाइल की तरह 10 अंकों की होनी चाहिए। ट्राई ने अपनी सिफारिश में कहा कि इससे उपलब्ध नंबरों का उचित उपयोग हो सकेगा। इसके अलावा, लैंडलाइन से लैंडलाइन पर कोई भी कॉल करने से पहले ‘0’ डायल करना आवश्यक होगा। इसमें यह भी कहा गया है कि मोबाइल के जरिए नंबर डायल करने की प्रक्रिया पहले जैसी ही रहेगी।
6 महीने की समय सीमा
दूरसंचार नियामक ने दूरसंचार कंपनियों को यह बदलाव करने के लिए 6 महीने का समय दिया है। अगले 5 वर्षों में मोबाइल जैसी फिक्स्ड लाइन पोर्टेबिलिटी प्रणाली शुरू की जाएगी। ट्राई ने फर्जी कॉल से राहत दिलाने के लिए जल्द ही सीएनएपी यानी कॉलर आईडी नेम प्रेजेंटेशन सेवा शुरू करने का निर्देश दिया है। दूरसंचार कंपनियों को इस नई व्यवस्था को जल्द से जल्द लागू करना चाहिए। ट्राई ने फर्जी नंबरों पर अंकुश लगाने के लिए सत्यापन प्रक्रिया को और मजबूत करने का भी सुझाव दिया है।
दूरसंचार नियामक द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, मशीन-टू-मशीन (एम2एम) उपकरणों के लिए वर्तमान 10 अंकों की संख्या के स्थान पर 13 अंकों की संख्या जारी की जाएगी। इसके अलावा आपातकालीन नंबरों के लिए विशेष शॉर्टकोड भी निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। ताकि जरूरत पड़ने पर सरकार इसका इस्तेमाल कर सके। निर्देश में कहा गया है कि इसके लिए समय-समय पर ऑडिट कराना जरूरी है।
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