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    April 24, 2025

    2024 में लोगों ने सबसे ज्यादा लिया कैंसर का इंश्योरेंस क्लेम, दूसरे नंबर पर इस बीमारी के मरीज।

    1 min read
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    कंपनी की तरफ से जुटाए गए आंकड़ों का एनाल‍िस‍िस करने पर पता लगा क‍ि कैंसर के मामले में इंश्‍योर्ड लोगों की कुल संख्या के बारे में क्‍लेम का प्रतिशत (इंसिडेंस) 40 साल की उम्र के बाद बढ़ता हुआ देखा गया है. महिलाओं में इसमें अचानक तेजी से बढ़ोतरी हुई.

    साल 2024 में कैंसर रोग‍ियों के अस्पताल में एडम‍िट होकर क्‍लेम करने वालों की संख्‍या में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ. इस दौरान कैंसर के मामलों की संख्या में 12 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. इसके बाद दूसरे नंबर पर हृदय रोगी रहे. 2024 में पांच अलग-अलग रोगों के मामले में अस्पताल में भर्ती होकर क्‍लेम करने वालों की संख्‍या में इंश्‍योरेंस कंपनियों के क्‍लेम का हिसाब लगाया गया. इन पांच में से रेस्‍प‍िरेटरी रोग से जुड़े क्‍लेम में सबसे ज्‍यादा उछाल देखा गया. इस बीमारी के रोग‍ियों पर होने वाले खर्च में भी 10-13 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है.

    40 की उम्र के बाद कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे
    यह जानकारी मेडीअसिस्ट हेल्‍थकेयर सर्व‍िसेज (MediAssist Healthcare Services) नामक कंपनी की तरफ से जुटाई गई है. मेडीअसिस्ट हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कंपनियों के लिए थर्ड पार्टी के तौर पर काम करती है. देश में ज्यादातर अस्पताल में एडम‍िट होने वालों को क्‍लेम यही कंपनी प्रोसेस करती है. कंपनी की तरफ से जुटाए गए आंकड़ों का एनाल‍िस‍िस करने पर पता लगा क‍ि कैंसर के मामले में इंश्‍योर्ड लोगों की कुल संख्या के बारे में क्‍लेम का प्रतिशत (इंसिडेंस) 40 साल की उम्र के बाद बढ़ता हुआ देखा गया है. महिलाओं में इसमें अचानक तेजी से बढ़ोतरी हुई.

    महिलाओं में कैंसर के मामले ज्‍यादा देखे जा रहे
    मेडी असिस्ट में सीनियर वीपी और डेटा साइंस हेड ध्रुव रस्तोगी ने बताया, महिलाओं में कैंसर होने की दर पुरुषों की तुलना में 1.2 से 1.5 गुना ज्‍यादा देखी गई. इसके अलावा डेटा से यह भी साफ हुआ क‍ि पुरुषों में कार्ड‍ियक के मामले महिलाओं की तुलना में करीब 1.3 से 1.5 गुना ज्‍यादा हैं. बाकी बीमारियों के लिए, मेड‍िकल इंफ्लेशन स‍िंगल ड‍िज‍िट में रही. उदाहरण के लिए कैंसर के इलाज की लागत में 6.5 प्रतिशत और हृदय रोग‍ियों के ल‍िए 8 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई.

    सीन‍ियर स‍िटीजन में मोतियाबिंद का इलाज सबसे ज्‍यादा
    सीन‍ियर स‍िटीजन के लिए, अस्पताल में भर्ती होने का सबसे आम कारण मोतियाबिंद का इलाज रहा. सर्जरी को लेकर जागरूकता बढ़ गई है और सुविधाएं भी बढ़ी हैं. इससे जल्‍दी जल्दी पता चल रहा है और ज्‍यादा सर्जरी हो रही हैं. श्वसन रोगों के इलाज में हाई इंफ्लेशन का कारण बढ़ता प्रदूषण और कोविड के संभावित लॉन्‍गटर्म प्रभाव भी बताए गए. हालांकि यह पूरी तरह सही नहीं है. कोविड के बाद लोग रेस्पिरेटरी रोगों को लेकर ज्‍यादा सतर्क हैं, जो प्रदूषण के कारण ज्‍यादा गंभीर हो गए हैं.

    शंकरन ने यह भी कहा कि हालांकि लोग अब पहले से ज्यादा जी रहे हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि वे स्वस्थ भी हों. जैसे-जैसे हमारी इकोनॉमी ग्रोथ कर रही है, खान-पान के तरीके भी बदल रहे हैं और तनाव भी बढ़ रहा है. डायब‍िटीजन और हाई बीपी के मामले बढ़ रहे हैं, जो हृदय रोग‍ियों की संख्‍या को बढ़ाते हैं.

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