न्यू टैक्स रिजीम को लागू करने में अहम भूमिका…इस काम के लिए जाने जाते हैं नए RBI गवर्नर।
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दास ने महंगाई को कंट्रोल में करने के लिए रेपो रेट को करीब दो साल तक एक ही लेवल पर बरकरार रखा है. आने वाले गवर्नर को एक ‘टीम’ के रूप में काम करने वाला कहा जाता है. वह मानते हैं कि कीमत को अकेले केंद्रीय बैंक प्रबंधित नहीं कर सकता है और इस काम के लिए सरकारी मदद की भी जरूरत है.
आम सहमति बनाने में माहिर माने जाने वाले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को लागू करने में अहम भूमिका निभाई है. कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में पीजी करने वाले 56 वर्षीय मल्होत्रा मौजूदा समय में वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव हैं. वह 11 दिसंबर को अपना पदभार ग्रहण करने के साथ शक्तिकांत दास की जगह लेंगे. दास का दूसरा तीन साल का कार्यकाल 10 दिसंबर को पूरा हो रहा है.
मल्होत्रा के पास 30 साल से ज्यादा का अनुभव
मल्होत्रा के पास बिजली, फाइनेंस और टैक्सेशन जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता के साथ पब्लिक पॉलिसी में 30 साल से ज्यादा का अनुभव है. वह ऐसे समय में केंद्रीय बैंक की कमान संभालने जा रहे हैं जब इकोनॉमी धीमी वृद्धि दर और बढ़ी हुई महंगाई दर की दोहरी चुनौती का सामना कर रही है. दास ने महंगाई को कंट्रोल में करने के लिए रेपो रेट को करीब दो साल तक एक ही लेवल पर बरकरार रखा है. आने वाले गवर्नर को एक ‘टीम’ के रूप में काम करने वाला कहा जाता है. वह मानते हैं कि कीमत को अकेले केंद्रीय बैंक प्रबंधित नहीं कर सकता है और इस काम के लिए सरकारी मदद की भी जरूरत है.
26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाल रहे मल्होत्रा
मल्होत्रा ऐसे समय केंद्रीय बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाल रहे हैं जब आरबीआई पर आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए रेपो रेट में कटौती का दबाव है. जीडीपी (GDP) वृद्धि दर जुलाई-सितंबर में घटकर सात तिमाही में सबसे निचले लेवल 5.4 प्रतिशत पर रही है. अक्टूबर में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 14 महीने के रिकॉर्ड लेवल 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई है. आरबीआई का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) बेस्ड महंगाई दर दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है.
ब्याज दर में कटौती करने की बात कही…
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल के दिनों में ब्याज दर में कटौती के बारे में कहा. इसका कारण यह है कि उच्च ब्याज लागत इकोनॉमी को नुकसान पहुंचा रही है. इससे आरबीआई पर नीतिगत दर में कटौती का दबाव है. माना जाता है कि मल्होत्रा के वित्त मंत्री के साथ अच्छे संबंध हैं. यह मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों को इकोनॉमी की जरूरतों के अनुरूप बनाने में मददगार हो सकते हैं. राजस्थान के रहने वाले मल्होत्रा उसी राज्य कैडर के 1990 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी हैं.
प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में पीजी
आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन और अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में पीजी करने वाले मल्होत्रा ने केंद्र में आने से पहले अपने होम स्टेट में विभिन्न विभागों में काम किया. वह 2000 में केंद्रीय मंत्री के निजी सचिव के रूप में केंद्र में आये. वह 2003 में राजस्थान वापस चले गए और उन्होंने खान तथा खनिज, सूचना और प्रसारण, वित्त, ऊर्जा और वाणिज्यिक कराधान विभागों में काम किया. वह 2020 में केंद्रीय विद्युत मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में केंद्र में लौटे.
उन्होंने एक वर्ष से अधिक समय तक विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली आरईसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के रूप में भी कार्य किया. उसके बाद वह फरवरी, 2022 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवा विभाग में सचिव नियुक्त हुए. उन्होंने आरबीआई निदेशक मंडल में बतौर प्रतिनिधि के रूप में भी काम किया. वह दिसंबर, 2022 में राजस्व सचिव बने. नई आयकर व्यवस्था का क्रियान्वयन उनकी उपलब्धि है.
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