चुनाव के मद्देनजर RBI का अहम फैसला! सभी कर्जदारों को बड़ी राहत
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लोकसभा चुनाव की घोषणा हुए दो हफ्ते बीत चुके हैं. कुछ ही दिनों में पहले चरण का मतदान होना है और उससे पहले आरबीआई ने कर्जदाताओं को बड़ी राहत दी है।
देश में बैंकों का बैंक कहे जाने वाले भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी नई क्रेडिट पॉलिसी की घोषणा कर दी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की है कि आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इसलिए अगली समीक्षा बैठक तक रेपो रेट 6.50 पर ही रहेगा. यानी साफ है कि देश में लोकसभा चुनाव होने तक तीन महीनों के दौरान ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा. यानी होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन की ईएमआई में कोई बदलाव नहीं होगा। पिछली समीक्षा बैठक में भी रेपो रेट को यथावत रखा गया था.
मीटिंग कब थी?
नए वित्तीय वर्ष की पहली नीति समीक्षा के लिए क्रेडिट नीति निर्धारण समिति (एमपीसी) की निर्धारित द्विमासिक समीक्षा बैठक 3 अप्रैल से 5 अप्रैल तक आयोजित की गई थी। यह बैठक आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के नेतृत्व में हुई। इस बैठक के बाद ऐलान किया गया है कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है. चूंकि ब्याज दर में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी इसलिए इसे लोकसभा चुनाव से पहले आम लोगों के लिए तोहफा माना जा रहा है. कुछ लोगों ने संभावना जताई है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ब्याज दरें कम की जाएंगी. लेकिन ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है. आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति में लगातार सातवीं बार ब्याज दरें अपरिवर्तित रखी हैं।
रेपो रेट वास्तव में क्या है?
आरबीआई द्वारा निर्धारित रेपो रेट का सीधा असर बैंकों के कर्ज देने पर पड़ता है। जिस दर पर बैंक ऋण देते हैं उसे रेपो रेट कहते हैं। जब यह दर यानी बैंकों को दिए जाने वाले ब्याज की दर घटती है तो कर्ज़ सस्ते हो जाते हैं और जब यह बढ़ती है तो बैंक भी अपने कर्ज़ महंगे कर देते हैं। इसका असर होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन जैसे सभी तरह के लोन पर पड़ता है और लोन की कीमत ईएमआई का बोझ भी बढ़ जाता है।
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