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    April 29, 2025

    चाय को ‘वाह ताज’ बनाने वाले उस्ताद जाकिर हुसैन अपने पीछे कितनी संपत्ति छोड़ गए, पहली परफॉर्मेंस के लिए मिले थे सिर्फ ₹5.

    1 min read
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    दुनियाभर में तबले को नई पहचान दिलाने वाले मशहूर तबलावादक उस्ताद जाकिर हुसैन नहीं रहे.

    दुनियाभर में तबले को नई पहचान दिलाने वाले मशहूर तबलावादक उस्ताद जाकिर हुसैन नहीं रहे. स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे जाकिर हुसैन ने 73 साल की उम्र में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में अंतिम सांस ली. छोटी सी उम्र में तबला वादन के साथ शुरुआत करने वाले जाकिर हुसैन ने दुनियाभर में अपनी पहचान बनाई. ताजमहल चाय को ‘वाह ताज’ बनाने वाले जाकिर हुसैन अपने पीछे करोड़ों की संपत्ति छोड़कर गए हैं.
    जाकिर हुसैन भारत के सबसे मशहूर शास्त्रीय संगीत को दुनियाभर में पहुंचाया.

    कितनी संपत्ति छोड़ गए जाकिर हुसैन
    जाकिर हुसैन का संगीत से लगाव था. उन्होंने तबले को लेकर अपने लगाव को पेशा बनाया और आर्थिक रूप से खुद को मजबूत बनाया. जब उन्होंने अपना पहला कॉन्सर्ट किया था तो उन्हें पहली परफॉर्मेंस के लिए सिर्फ 5 रुपये मिले थे. लेकिन बाद में वो अपने एक शो के लिए 8 से 10 लाख रुपये की फीस लेते थे. उन्होंने म्यूजिक के जरिए 10 मिलियन डॉलर यानी करीब 85 करोड़ रुपये की संपत्ति बनाई. अपने पीछे वो घर, गाड़ी, बैंक बैलेंस छोड़कर गए हैं.

    ताज को बनाया ‘वाह ताज’
    ताजमहल चाय को ‘वाह ताज’ बनाने वाले जाकिर हुसैन ने इस चाय को नई पहचान दे दी. लोगों ने तो इस चाय का नाम ही जाकिर हुसैन और उनके तबले के धुन से याद है. ब्रिटिश कंपनी के मालिकाना हक वाली ताजमहल चाय 1966 से ही भारत में कारोबार कर रही है. उस वक्त उसकी पहचान एक विदेशी चाय कंपनी के तौर पर भी. कंपनी का विज्ञापन भी आह ताज के नाम से होता था. कंपनी खुद को भारतीय संस्कृति और भारतीयों से जोड़ना चाहती थी, इसके लिए नए विज्ञापन के जरिए रिलॉन्च की प्लानिंग की गई. एटवर्टाइजर्स को ऐसे चेहरे की जरूरत थी, जो टी ब्रांड की डिमांड को पूरा कर सके. काफी सर्च के बाद उनकी निगाहे मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन पर टिक गई.

    कंपनी को दिलाई नई पहचान
    आगरा में ताजमहल चाय की शूटिंग हुई. ताजमहल के सामने तबला बजाते हुए जाकिर हुसैन की तारीफ में ‘वाह, उस्ताद वाह!’ गूंज उठता है तो चाय की चुस्की लेते हुए जाकिर हुसैन जवाब देते हुए कहते हैं, ‘अरे हुज़ूर, वाह ताज बोलिए!’फिर क्या था लोगों को उस्ताद जाकिर हुसैन की ये बात मन में घर कर गई. बच्चों से लेकर बूढ़ों की जुबान पर वाह ताज का जादू चढ़ गया. कंपनी को भी इसका फायदा मिला और सेल बढ़ने लगी. इसके बाद कंपनी ने लंबे वक्त तक जाकिर हुसैन के साथ अपना कॉन्ट्रैक्ट जारी रखा. लोगों के लिए ताजमहल चाय की पहचान उत्साद जाकिर हुसैन के साथ जुड़ गई. उस्ताद ने अपने तबले के दम पर कंपनी की तकदीर बदल दी.

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