भारत के पास कितनी सबमरीन स्वदेशी, जानें कितनी पनडुब्बियां दूसरे देशों से खरीदीं?
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भारत सबमरीन के मामले में दुनिया में आठवें नंबर पर आता है. चलिए आज आपको बताएं कि कौन सी सबमरीन भारत में बनी है और कौन सी विदेशों के साथ मिलकर बनाई गई है.
आज देश भर में नेशनल सबमरीन डे मनाया जा रहा है. भारत जल, थल और वायु सेना हर मोर्चे पर तरक्की कर रहा है. भारत सबमरीन के रूप में अपनी सेना में अपनी ताकत बढ़ा रहा है. ग्लोबर फायर पावर की मानें तो इस वक्त भारत के पास कुल 18 पनडुब्बियां हैं. सबमरीन की संख्या के मामले में भारत दुनिया में 8वें नंबर पर आता है. भारत के पास इस वक्त दो परमाणु पनडुब्बियां हैं. एक है आईएनएस अरिहंत और दूसरी है आईएनएस अरिघात. ये दोनों सबमरीन बहुत शक्तिशाली हैं लंबी दूरी तक दुश्मन पर हमला करने के लिए जानी जाती हैं. चलिए इसी क्रम में आपको बताते हैं कि भारत के पास कितनी स्वदेशी सबमरीन हैं और कितनी विदेशों से खरीदी गई हैं.
भारतीय सबमरीन
भारत में अभी तक पूरी तरह से तीन न्यूक्लियर सबमरीन बनाई जा चुकी हैं. पहली है आईएनएस अरिहंत, आईएनएस अरिघात और तीसरी है एस-3. इसमें से सबसे पहले आईएनएस अरिहंत पूरी तरह से भारत में बनाई गई थी. साल 2009 में पहली बार तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पत्नी ने कागरिल दिवस के मौके पर आईएनएस अरिहंत को लॉन्च किया था. इसके बाद साल 2016 में इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है. वहीं दूसरी है आईएनएस अरिघात जिसको साल 2017 में लॉन्च किया गया था, लेकिन इसे 2024 में नौसेना में शामिल किया गया.
तीसरी भारतीय सबमरीन S-4 है जिसे कि नवंबर 2021 में लॉन्च किया गया था. इसमें मीडियम रेंज की आठ बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जिनकी रेंज 3500 किलोमीटर है. ये 700 किलोमीटर तक टारगेट हिट कर सकती है. हालांकि अभी तक इसका परीक्षण जारी है.
दूसरे देशों के साथ मिलकर बनाई गईं सबमरीन
दूसरे देश के साथ मिलकर बनाई गईं सबमरीन की संख्या 17 है. दरअसल भारत में कई बार सबमरीन के लिए टेक्नोलॉजी खरीदी जाती है और पार्ट्स इंडिया में ही असेंबल किए जाते हैं. वहीं कुछ सबमरीन दूसरे देश डिलीवर भी करते हैं.
इसमें से पहला है कलवरी क्लास जिसको स्कॉर्पियन क्लास भी कहते हैं इसकी छह सबमरीन हैं. जिनके नाम हैं आईएनएस कलवरी (S21), आईएनएस खान्देरी (S22), आईएनएस करन्ज (S23), आईएनएस वेला (S24), आईएनएस वघशीर (S26) शामिल हैं, जिसको कि फ्रांस के साथ मिलकर बनाया गया है.
दूसरा है शिशुमार क्लास (टाइप 209 सबमरीन) जिसमें चार सबमरीन शामिल हैं. पहली है आईएनएस शिशुमार (S44), आईएनएस शंखकुश (S45), आईएनएस शल्की (S46), आईएनएस शंकुल (S47). ये वेस्ट जर्मनी के साथ मिलकर बनीं हैं.
तीसरी क्लास है सिंधुघोष क्लास जो कि किलो क्लास है. इसमें सात सबमरीन शामिल हैं, जिनके नाम हैं आईएनएस सिंधुघोष (S55), आईएनएस सिंधुराज (S57), आईएनएस सिंधुरत्न (S59), आईएनएस सिंधुकेसरी (S60), आईएनएस सिंधुकीर्ति (S61), आईएनएस सिंधुविजय (S62) और आईएनएस सिंधुराष्ट्र (S65). ये तीनों क्लास की सबमरीन डीजल-इलेक्ट्रिक हैं. इसको रूस के साथ मिलकर बनाया गया है.
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