कैसे हुई थी इरफान खान और मनोज बाजपेयी की दोस्ती? ‘एक कप चाय’ ने निभाया था अहम किरदार; डायरेक्टर ने सुनाया किस्सा।
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हिंदी सिनेमा के दिग्गज दिवंगत कलाकार इरफान खान और मनोज बाजपेयी एक दूसरे के साथ शानदार बॉन्डिंग शेयर करते थे. लेकिन उनके ज्यादातर फैंस ये नहीं जानते थे कि दोनों की दोस्ती कैसे हुई थी. हाल ही में इंडस्ट्री के एक जाने-माने डायरेक्टर ने ये दिलचस्प किस्सा शेयर किया.
हिंदी सिनेमा के दिग्गज दिवंगत कलाकार इरफान खान ने अपने करियर की शुरुआत 1988 में फिल्म ‘सलाम बॉम्बे’ से की थी, जिसमें उनका रोल छोटा था. इसके बाद उन्होंने कई टीवी शो में काम किया और फिल्मों में अपनी पहचान बनाई. वहीं, मनोज बाजपेयी ने 1994 में फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ से अपने करियर की शुरुआत की थी, जिसमें उन्होंने डाकू मान सिंह का रोल निभाया था. इसके बाद 1998 में फिल्म ‘सत्या’ में भीखू म्हात्रे के किरदार से उन्हें खास पहचान मिली.
इरफान खान और मनोज बाजपेयी की दोस्ती 1990 के दशक में शुरू हुई थी, जब दोनों ही अपने करियर के शुरुआती दौर में थे और संघर्ष कर रहे थे. दोनों एक दूसरे के साथ शानदार बॉन्डिंग शेयर करते थे. लेकिन उनके ज्यादातर फैंस ये नहीं जानते थे कि दोनों की दोस्ती कैसे हुई थी. हाल ही में इंडस्ट्री के एक जाने-माने डायरेक्टर ने ये दिलचस्प किस्सा शेयर किया. उन्होंने बताया कि कैसे एक कपल चाय से दोनों के बीच दोस्ती की शुरूआत हुई थी. हाल ही में निर्देशक निखिल आडवाणी ने पुराने दिनों को याद किया.
एक चाय के कप से हुई थी दोस्ती की शुरुआत
उन्होंने इरफान खान, मनोज बाजपेयी और अनुराग कश्यप के साथ बिताए गए चाय के प्यालों के यादगार लम्हों को याद करते हुए बताया कि वे अक्सर साथ बैठकर चाय पीते और लाइफ, सिनेमा और बाकी चीजों पर लंबी बातें किया करता था. खासतौर पर वे बनारस, कानपुर और बरेली की चाय के बारे में बात करते थे और उनकी बातों में काफी इमोशन झलकता था. निखिल ने बताया कि उस समय वे और उनके साथी एक्टर-निर्देशक कोई बड़े स्टार नहीं थे और सभी के पास पैसे भी नहीं थे. इसलिए, उनकी मुलाकातों में कोई भी शराब नहीं लाता था.
चाय पर होती थी लंबी-लंबी बातें और चर्चाएं
तीन आसपस में चाय और बाकी खाने का हिस्सा लेकर आते थे. ये छोटा सा आदान-प्रदान उनके बीच की दोस्ती को मजबूत करता था और इस दौरान वे कई दिनों तक एक छत के नीचे समय बिताते थे, बस बातें करते हुए. साइरस ब्रोचा के पॉडकास्ट ‘साइरस सेज’ पर बात करते हुए, निखिल ने उस समय की यादें ताजा की, जब वे और उनके साथी चाय पर चर्चाओं में खो जाते थे. उन्होंने बताया कि वे कभी ये समझ नहीं पाए कि बनारस, कानपुर और बरेली की चाय में ऐसा खास क्या था. निखिल ने एक और दिलचस्प किस्सा भी शेयर किया.
करण जौहर को चिढ़ाया करते थे निखिल
उन्होंने बताया कि वे और करण जौहर एक ही मोहल्ले में रहते थे और मौका पाकर करण को चिढ़ाया करते थे. अगर निखिल के काम की बात करें तो उनको ‘बाटला हाउस’, ‘दिल्ली सफारी’, ‘सलाम-ए-इश्क’, ‘पटियाला हाउस’ और ‘चांदनी चौक टू चाइना’ जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है. उनका नया प्रोजेक्ट ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ है, जो डोमिनिक लैपियर और लैरी कॉलिन्स की किताब से प्रेरित है. इस सीरीज का प्रीमियर 15 नवंबर को सोनी लिव पर हुआ है, जिसमें सिद्धांत गुप्ता, चिराग वोहरा और राजेंद्र चावला प्रमुख भूमिकाओं में नजर आ रहे हैं.
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