पांच घंटे से कम नींद कितनी खतरनाक? जानिए इसके साइड इफेक्ट्स
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अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद भी उतनी ही जरूरी है। ऐसा कहा जाता है कि एक व्यक्ति को दिन में कम से कम आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए। लेकिन क्या सचमुच आठ घंटे की नींद सेहत के लिए काफी है?
अच्छे स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त नींद उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना अच्छा आहार और नियमित व्यायाम। अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद भी उतनी ही जरूरी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, एक व्यक्ति को दिन में कम से कम आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए। नींद और मानव स्वास्थ्य का गहरा संबंध है। पर्याप्त नींद से दिन की थकान कम होती है। नींद हमेशा सेहत के लिए फायदेमंद होती है। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई कम से कम आठ घंटे की नींद नहीं ले पाता है।
दैनिक दिनचर्या के कारण कई लोगों को पांच घंटे की नींद भी नहीं मिल पाती है। लेकिन इसका स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि नींद की कमी कई बीमारियों को निमंत्रण है।
1. स्मृति हानि
अगर हम 5 घंटे से कम सोते हैं तो इसका हमारे दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। पर्याप्त नींद हमारे मस्तिष्क को भी आराम देती है। इससे याददाश्त बढ़ती है. लेकिन वहीं अगर हमारी नींद अधूरी हो तो शरीर की तरह दिमाग भी थक जाता है। और परिणामस्वरूप, समय के साथ स्मृति हानि जैसी बीमारियाँ विकसित हो सकती हैं।
2. मूड स्विंग
अगर हम पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं तो हमारा दिमाग पूरी तरह से थक जाता है, जिसका असर हमारे स्वभाव पर भी पड़ता है। आपका स्वभाव चिड़चिड़ा हो सकता है। अवसाद, चिंता और तनाव से पीड़ित हो सकते हैं। इसलिए कम से कम आठ घंटे की नींद जरूरी है।
3. रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर (Weak Immunity)
कोरोना महामारी के बाद डॉक्टर इम्यूनिटी बढ़ाने की सलाह देते हैं. इससे बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है. ऐसे में अगर हम 5 घंटे से कम सोते हैं तो इसका असर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ सकता है। इंसानों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से बीमारी बढ़ने का खतरा रहता है।
4. मधुमेह का खतरा
अपर्याप्त नींद का सबसे बड़ा झटका मधुमेह है। डायबिटीज न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया भर में एक गंभीर बीमारी बन गई है। न केवल मीठा खाना या अनियमित भोजन खाने से मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है, बल्कि अपर्याप्त नींद भी मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकती है।
वर्तमान में मोबाइल फोन के कारण हमारा स्क्रीन टाइम बढ़ गया है और इसका असर नींद पर भी पड़ने लगा है।
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