कैसे और किसने तय किया कि नई दिल्ली देश की राजधानी होगी?
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दिल्ली हमेशा से ही आकर्षण का केन्द्र रही है। चाहे वह फास्ट फूड के कारण हो या राजनीतिक हलकों के कारण। 114 साल पहले 1911 में नई दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने का बड़ा फैसला लिया गया था। लेकिन आज इतिहास में हम देखेंगे कि इसे किसने और कैसे लिया।
आज देश की राजधानी दिल्ली को हर कोई जानता है। देश भर के विभिन्न राज्यों से लोग यहां रहते और बसते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि दिल्ली पहले भारत की राजधानी नहीं थी, दिल्ली को यह दर्जा 113 साल पहले 12 दिसंबर 1911 को मिला था। इससे पहले कोलकाता देश की राजधानी थी। तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड हार्डिंग ने 1911 में कहा था कि नई राजधानी दिल्ली होगी। हम देखेंगे कि दिल्ली में ऐसी क्या खास बात थी कि इसे ‘राजधानी’ चुना गया।
दिल्ली को चुनने का मुख्य कारण?
दिल्ली को राजधानी चुनने के पीछे अंग्रेजों की एक सोची-समझी रणनीति थी। 1857 के विद्रोह के दौरान केवल दिल्ली ही ब्रिटिश शासन के संरक्षण में थी। उस समय के विद्रोह को यहीं दबा दिया गया था। सुरक्षा की दृष्टि से दिल्ली अंग्रेजों के लिए सबसे सुरक्षित और महत्वपूर्ण शहर था। इसके अलावा, उस समय के वायसराय रिज में रहते थे। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति का वर्तमान कार्यालय तत्कालीन वायसराय का निवास था।
दिल्ली से पहले ‘यह’ शहर था ‘राजधानी’
इसके अलावा, दिल्ली देश के केंद्र में स्थित था, जहां से पूरे देश तक आसानी से पहुंचा जा सकता था। दिल्ली से पहले कोलकाता को ‘राजधानी’ के रूप में चुना गया था। लेकिन कोलकाता देश के पश्चिमी छोर पर था, जिससे देश के बाकी हिस्सों तक पहुंचना और उनका निरीक्षण करना कठिन था।
उस समय बंगाल देश में स्वतंत्रता के सबसे प्रमुख केंद्रों में से एक बन गया था। इसके अलावा, 1905 में बंगाल विभाजन के बाद स्वदेशी आंदोलन और विरोध को नई गति मिली। इस कारण ब्रिटिश सरकार भी इस आंदोलन को कोलकाता से हटाकर दबाना चाहती थी।
यह निर्णय किसकी सलाह पर लिया गया?
25 अगस्त 1911 को शिमला से वायसराय लॉर्ड हार्डिंग द्वारा ब्रिटिश सरकार को एक पत्र भेजा गया। जिसमें लिखा है, ‘ब्रिटेन के लिए बेहतर विकल्प यह होगा कि वह कोलकाता की जगह दिल्ली को राजधानी बनाकर शासन करे।’ इसके अलावा इस पत्र में दिल्ली की जलवायु का भी उल्लेख किया गया था जो अंग्रेजों के लिए अच्छी थी।
नई दिल्ली की स्थापना कब हुई?
भारत की राजधानी बनने के 20 वर्ष बाद 13 फरवरी 1931 को नई दिल्ली का उद्घाटन हुआ। इसका उद्घाटन लॉर्ड इरविन ने किया था। इस दौरान डाक-तार विभाग ने छह डाक टिकट भी जारी किये। पुराने सचिवालय का निर्माण इस नई ब्रिटिश राजधानी की पहली इमारत के रूप में किया गया था। इसके डिजाइनर ई. मोंटेग थॉमस था। उसके बाद दिल्ली का नक्शा बदलता रहा। 1956 में यह केंद्र शासित प्रदेश बना और 1991 के 69वें संशोधन में इसे राष्ट्रीय राजधानी का दर्जा दिया गया।
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